akhilesh-chamola-bharat-gau

कौन कहता है कि आसमान पर छेद नही किया जा सकता है। कौन सा ऐसा कार्य जो असम्भव हो। इस तरह का जीता जागता उदाहरण रा.इ.का. सुमाड़ी मे कार्यरत हिन्दी अध्यापक अखिलेश चन्द्र चमोला ने प्रस्तुत किया। अपने उल्लेखनीय कार्यो के आधार पर सम्मानोपाधियो के पर्याय बन चुके अखिलेश चमोला का जन्म 1 जुलाई 1972 को जनपद रूद्रप्रयाग के ग्राम कौंशलपुर मे स्व. श्रीधर प्रसाद चमोला तथा श्रीमती राजेश्वरी चमोला के घर हुआ। बचपन से ही चमोला की गिनती कुशाग्र छात्रो के रूप मे की जाती रही है। इनके जीवन मे आमूल चूल परिवर्तन कला निष्णात दर्शनशास्त्र से आया। कला निष्णात दर्शनशास्त्र मे सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर केन्दीय विश्व विद्यालय श्रीनगर गढ़वाल द्वारा इन्हें स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

बाद मे 2001 मे उन्होने कला निष्णात हिन्दी से भी व्यक्तिगत  छात्र के रूप मे सर्वोच्च अंक प्राप्त करके प्रथम श्रेणी मे उत्तीर्ण की। अनेक वर्षो तक स्वामी ओमकारानन्द विद्यालय मे निशुल्क अध्यापन का कार्य किया। 2003 मे हिन्दी अध्यापक के रूप मे सरकारी सेवा मे आये। अपने अध्यापन कार्य के साथ साथ नशा उन्मूलन, बेटी बचाओ, बेटी पढाओ, बाल कवि सम्मेलन, वृक्षारोपण, स से सन्स्मरण साहित्य विद्या का आयोजन, भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार, हम सबका प्रयास शिक्षा का विकास, आदि अनेक शैक्षिक उन्नयन संगोष्टी अपने निजी खर्चे पर आयोजित करते रहते है।  इनके इस तरह के उत्कृष्ट  कार्य तथा समर्पण को देखते हुये राष्टीय तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा इन्हे विद्या वाचस्पति, विद्या सागर, साहित्य वाचस्पति, साहित्य सागर, साहित्य महो पाध्याय, साहित्य जगत के स्वर्ण स्तभ्भ, जिलाधिकारी रजत प्लेट, स्वर्ण पदक, जय शंकर प्रसाद सम्मान, माखन लाल चतुर्वेदी सम्मान, आदर्श उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, मुख्यमन्त्री सम्मान, महामहिम राज्यपाल पुरस्कार सम्मान, आदित्य विद श्री, ज्योतिष  भूषण, ज्योतिष रत्न, ज्योतिष भारत रत्न, ज्योतिष महर्षि, डॉ. आफ एस्ट्रोलॉजी, भारत गौरब रत्न, उत्तराखन्ड विभूति, ज्योतिष सम्मान आदि अनेको सम्मानोपाधियो से अंलकृत किया गया है।

इनके शैक्षिक गतिविधियो के उल्लेखनीय कार्यो को देखते हुये मुख्यशिक्षा अधिकारी मदन सिह रावत जनपद पौडी ने इन्हे  शैक्षिक उन्नयन कार्यक्रम करने की अनुमति प्रदान की है। अभी हाल ही मे विक्रमशिला हिन्दी विश्वविद्यालय विद्यापीट गांधीनगर के कुलसचिव, कुलपति, कुलाधिपति, महोदय द्वारा 22वे दीक्षान्त समारोह उज्जैन मे देश-विदेश के साहित्यकारो के समक्ष भारत गौरव सम्मान से सम्मानित किया। विद्यापीठ के कुलाधिपति डॉ. सुमन भाई मानष भूषण ने चमोला को सम्मानित करते हुये कहा  कि चमोला निरन्तर भावी पीढी का मार्ग दर्शन करते हुये प्रेरणा दायिनी साहित्य का सृजन कार्य कर रहे है। इससे भावी पीढी मे नैतिक शिक्षा के साथ ही भारतीय सन्स्कृति के बीज रोपित हो रहे हैं। विद्यापीठ का उद्देश्य  इस तरह के अदभुत प्रतिभाशाली व्यक्तियो का चयन करके उन्हे राष्टीय मंच दिलाकर सम्मानित करना है। जिससे वे अपने कार्यो को और मजबूती के साथ कर सकें।

भारत गौरव की उपाधि से सम्मानित होने प. चमोला ने विद्यापीठ का आभार व्यक्त करते हुये कहा यह मेरे लिये गौरव का विषय  के साथ ही जिम्मेदारी का बोध  भी कराता है। भावी पीढी के मार्ग दर्शन के लिये निरन्तर प्रयास करता रहूगा। चमोला के इस सम्मान पर खन्ड शिक्षा अधिकारी एमएल आर्य ने खुशी जाहिर करते हुये कहा  चमोला अपने अध्यापन कार्य के साथ ही प्रेरणा दायिनी साहित्य का सजृन करके राष्टीय स्तर पर जो पहचान बना रहे है, वह अपने आप मे महत्वपूर्ण उपलव्धि है। इस तरह के कार्य से चमोला ने शिक्षक समुदाय मे उदाहरण प्रस्तुत किया है। अन्य शिक्षको को भी चमोला से प्रेरणा लेनी चाहिये।