Domicile 1950 and strong land law

नई दिल्ली: उत्तराखंड में मूल निवास 1950 तथा सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर मूल निवास-भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति द्वारा बीते 24 दिसंबर को राजधानी देहरादून में आयोजित मूल निवास स्वाभिमान रैली को मिले अपार समर्थन के बाद अब अब प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में भी इस आंदोलन को तेज धार दी जाएगी।

मूल निवास और भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने अपने आगामी कार्यक्रमों की घोषणा की है। समन्वय संघर्ष समिति गढ़वाल के बाद अब कुमाऊँ में बागेश्वर में उत्तरायणी कौथिग के दिन 15 जनवरी को स्वाभिमान रैली निकालेगी। जिसमे राज्यभर से हजारों लोगों के जुटने की उम्मीद है। इसके अलावा  जनवरी के अंतिम सप्ताह में हल्द्वानी में भी मूल निवास स्वाभिमान महारैली निकाली जाएगी। समिति ने बताया  बहुत जल्द प्रदेशभर में व्यापक जन जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा।

यूकेडी भी जिला मुख्यालयों में करेगी धरना प्रदर्शन

भू कानून और मूल निवास को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल ने स्थिति स्पष्ट की है। उत्तराखंड क्रांति दल एक जनवरी 2024 से प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर सदस्यता अभियान चलाएगी। जिसके तहत हर लोकसभा से एक-एक लाख सदस्य बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही यूकेडी भू कानून और मूल निवास 1950 की मांग को लेकर भी जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन करेगी। जिसके लिए उत्तराखंड क्रांति दल ने रणनीति तैयार कर ली है। यूकेडी के केंद्रीय अध्यक्ष पूरन सिंह कठैत ने बताया कि मूल निवास सन 1950 और भू कानून की मांग को लेकर 1 जनवरी को ही हर जिले के मुख्यालयों में यूकेडी कार्यकर्ता धरना देकर मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेजेंगे। वहीँ केंद्रीय संरक्षक सुरेंद्र कुकरेती ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने जब प्रत्येक राज्य के लिए जिसमें की नव सृजित झारखंड तथा छत्तीसगढ़ राज्य भी शामिल हैं, 1950 मूल निवास की कट ऑफ डेट को मान्यता प्रदान की है। तो उत्तराखंड को भारत के अन्य राज्यों से इतर मूल निवास 1950 से कैसे वंचित किया जा सकता है। प्रदेश में मूल निवास 1950, हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून लागू होना अति आवश्यक है। जल, जंगल, जमीन पर यहां के मूल निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें और मूल निवासियों के हक हकूक पर किसी बाहरी का कब्जा न हो सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अन्य हिमालयी राज्यों की तर्ज पर क्षेत्रफल के आधार पर परिसीमन की मांग करती है। ऐसा न होने पर उक्रांद बड़े आंदोलन के लिए तैयार है।

दिल्ली-एनसीआर में भी दी जाएगी आन्दोलन को धार

उत्तराखंड में मूल निवास 1950 तथा सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन को लेकर दिल्ली एनसीआर में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडी सामाजिक कार्यकर्ताओं की मंगलवार को पंचकुइया रोड़ स्थित गढ़वाल भवन में एक बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता गढ़वाल हितैषणी सभा के वर्तमान अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट ने की। बैठक में करीब 40 से अधिक समाजसेवी उपस्थित रहे। बैठक में उत्तराखंड में मूल निवास 1950 और सख्त भू कानून की मांग को लेकर उत्तराखंड में चल रहे आंदोलन को दिल्ली-एनसीआर में भी जन आंदोलन बनाने के लिए रणनीति तैयार करते हुए कई अहम् फैसले लिए गए।

बैठक में सर्वसम्मति से निम्नलिखित निर्णय लिए गए

  1. उत्तराखंड में मूल निवास और भू कानून को सख्ती से लागू करने के लिए जारी जन आंदोलन को सभी उपस्थित साथियों ने एक स्वर में अपना पूर्ण समर्थन दिया।
  2. दिल्ली में भी आंदोलन को तेज धार देने के लिए उत्तराखंड की तर्ज पर उत्तराखंड मूल निवास – भू कानून संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया जाएगा। ये समिति दिल्ली एनसीआर में कार्यरत सैंकड़ों संस्थाओं, सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, व्यवसाइयों इत्यादि को साथ लेकर शीघ्र ही दिल्ली में एक बड़ा जनांदोलन खड़ा करेगी।
  3. आंदोलन को सही दिशा व दशा प्रदान करने के लिए चारु तिवारी जी के नेतृत्व में एक दृष्टि पत्र कमेटी का गठन किया गया। जिसके सदस्य हरिपाल रावत, खुशाल सिंह जीना, दिग्मोहन सिंह नेगी हैं।
  4. आगे की गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने और दिल्ली एनसीआर की विभिन्न संस्थाओं को, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों इत्यादि को इस मुहिम से जोड़ने के लिए एक समन्वय समिति का गठन किया गया है। जिसके सदस्य दिग्मोहन सिंह नेगी, अनिल पंत, सुरेंद्र सिंह हालसी, शशि मोहन कोटनाला, आजाद सिंह नेगी, संजय चौहान, मनोज आर्य हैं।
  5. दृष्टि पत्र कमेटी अगले 5 दिनों में मूल निवास भू कानून पर एक दस्तावेज़, समिति की सभी सदस्यों के समक्ष पेश करेगी। इस दस्तावेज़ के आधार पर समझदारी विकसित करके शीघ्र ही भू कानून पर पर्चे छपवा कर दिल्ली एनसीआर की विभिन्न कॉलोनियों में छोटी बड़ी बैठकें की जायेंगी। और इन पर्चों को घर घर जाकर लोगों को इस संवेदनशील मुद्दे पर जागरूक किया जायेगा।
  6. फरवरी माह में मूल निवास भू कानून के मुद्दे पर जंतर मंतर, दिल्ली में एक प्रचंड प्रदर्शन किया जाएगा। जिसमें हजारों लोगों की सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी।

मूल निवास-भू कानून संयुक्त संघर्ष समिति, दिल्ली