ग्रेटर नोएडा: रियल इस्टेट रिग्यूलेटरी अथॉरिटी (रेरा) का दफ्तर ग्रेटर नोएडा मे खुलने के बाद से बिल्डरों पर रेरा की सख्ती के चलते होम बायर्स में फ्लैट मिलने की आस जगी है। इसी क्रम में शुक्रवार को रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण तथा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के सीईओ एवं वीसी के साथ बैठक कर उनके क्षेत्र में काम कर रहे बिल्डरों की सूची सहित पूरा लेखा जोखा मांगा है।
रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण व जीडीए के अधिकारियों से बिल्डरों की सूची के साथ यह जानकारी भी मांगी है कि किस बिल्डरों को किस सेक्टर में, किस दर पर कितनी जमीन आवंटित की गयी है। बिल्डरों के कितने प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं और कितने अभी अधूरे हैं। बिल्डरों को कितने फ्लैट बनाकर कब पजेशन देना है। किस बिल्डरों पर प्राधिकरण का कितना पैसा बकाया है। साथ ही चेयरमैन ने डिफाल्टर बिल्डरों की भी सूची मांगी है। रेरा नोएडा प्राधिकरण से पहले ही बिल्डरों का ब्यौरा मांग चुका है।
पहले रेरा का मुख्यालय जहां लखनऊ में होने के कारण, बिल्डरों से परेशान होम बायर्स को लखनऊ के चक्कर लगाने पड़ते थे परन्तु पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक कार्यालय ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की पुरानी बिल्डिंग में खुल जाने से स्थानीय होम बायर्स को काफी राहत मिली है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की पुरानी बिल्डिंग में रेरा की बेंच ने बिल्डरों से संबंधित शिकायतों की सुनवाई शुरू कर दी है। बेंच अर्थ बिल्डरों व सुपरटेक बिल्डरों के मामले सुन चुकी है।
रेरा की सख्ती के चलते एक ओर जहां क्षेत्र के बिल्डरों में हड़कंप मचा है, वहीं प्राधिकरण के अधिकारियों की भी हवा टाइट हो रही है। मालूम हो कि पिछली सरकारों में बिल्डरों को मनमानी दरों पर जमीन आवंटित की गयी थी। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने तो औद्योगिक जमीन का लैंड यूज ही चेंज कर बिल्डरों को आवंटित कर दी है। यही नहीं पावरफुल बिल्डरों को प्राधिकरण ने नियम कानून को ताक पर रख काफी सहूलियतें दे दी हैं। बैठक में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ पार्थ सारथी सेन शर्मा, यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण के सीईओ डा. अरुणवीर सिंह व जीडीए की वीसी व अन्य अधिकारी मौजूद थे।