Bhai Dooj Kab Hai: भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति में व्रत -उपवास, त्योहार का विशेष महत्व है। इसकी अपनी अलग पहचान है। यहां नारी को अत्यधिक सम्मान की दृष्टि से देखा गया है। जहां पाश्चात्य सभ्यता में स्त्री की पहचान एक मा, बहन, बेटी तक ही सीमित थी, भारतीय संस्कृति में उसे देवी का स्थान प्राप्त था। मानव सभ्यता के तीन आधार बुद्धि, शक्ति, धन तीनों की अधिष्ठात्री देवियां हैं, बुद्धि की सरस्वती, धन की लक्ष्मी, शक्ति की देवी दुर्गा, काली आदि। मनुस्मृति में कहा गया है “यत्र नार्येस्तु पुज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता“ अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता भी निवास करते हैं।
पुरुष की प्रगति में नारी की विशेष भूमिका रहती हैं। यही कारण है कि नारायण के साथ लक्ष्मी, शिव के साथ पार्वती, श्री राम के साथ सीता और कृष्ण के साथ राधा की आराधना नारी शक्ति के प्रभाव को उजागर करती है। भैय्या दूज का त्योहार इसी तरह की विशिष्टता का प्रतीक है।
शास्त्रों में भैया दूज के सन्दर्भ में इस तरह का विवरण मिलता है कि कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि जिस दिन दोपहर के समय होती है, उसी दिन भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन यमराज, चित्र गुप्त की पूजा की जाती है। इनके नाम का अर्घ्य और दीपदान दिया जाता है।
हर साल दीपावली के दो दिन बाद और गोवर्धन पूजा के ठीक अगले दिन भाई दूज मनाया जाता है। इस पर्व के साथ ही पांच दिन के दीपोत्सव का समापन हो जाता है। भाई दूज को यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही मनाया जाता है। इसमें बहनें अपने भाई की सलामती के लिए तिलक लगाकर उनकी सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करती हैं। इस साल भाई दूज की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग 26 अक्टूबर को तो कुछ लोग 27 अक्टूबर को भाई दूज मनाने की बात कह रहे हैं। ऐसे में आइये आपका कनफ्यूजन दूर करते हैं।
26 अक्टूबर को ही मनाएं भाई दूज
इस साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 और 27 अक्टूबर दोनों दिन लग रही है। यही वजह है कि लोगों को कन्फ्यूजन हो रहा है। द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 02:43 मिनट से शुरू होकर 27 अक्टूबर को दोपहर 12:45 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 26 अक्टूबर को ही भाई दूज का पर्व मनाना शास्त्र के अनुकूल रहेगा। इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:14 मिनट से लेकर 12: 47 मिनट तक रहेगा।
27 अक्टूबर को पूजन का यह है शुभ मुहूर्त
हालांकि, कई जगहों पर उदया तिथि के हिसाब से भाईदूज का पर्व मनाते हैं। ऐसे में 27 अक्टूबर को भी भाई दूज मना सकते हैं। इस दिन तिलक का शुभ मुहूर्त सुबह 11:07 मिनट से दोपहर 12:46 मिनट तक रहेगा।
क्यों मनाया जाता है भाई दूज?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संताने थीं, यमराज और यमुना। दोनों में बहुत प्रेम था। बहन यमुना हमेशा चाहती थीं कि यमराज उनके घर भोजन करने आया करें। लेकिन यमराज उनकी विनती को टाल देते थे। एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर दोपहर में यमराज उनके घर पहुंचे। यमुना अपने घर के दरवाजे पर भाई को देखकर बहुत खुश हुईं। इसके बाद यमुना ने मन से भाई यमराज को भोजन करवाया। बहन का स्नेह देखकर यमदेव ने उनसे वरदान मांगने को कहा।
इस पर उन्होंने यमराज से वचन मांगा कि वो हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भोजन करने आएं। साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर-सत्कार के साथ टीका करें, उनमें यमराज का भय न हो। तब यमराज ने बहन को यह वरदान देते हुआ कहा कि आगे से ऐसा ही होगा। तब से यही परंपरा चली आ रही है। इसलिए भैयादूज वाले दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है।
25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण, अब 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा
आमतौर पर परंपरा यही रही है कि दीपावली के अगले दिन भगवान गोवर्धन की पूजा बड़े धूमधाम व रीति रिवाज के साथ की जाती है, लेकिन अब की बार ऐसा नहीं होने जा रहा है दिवाली 24 अक्टूबर को मनायी। इसके हिसाब से 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा मनायी जानी चाहिए, लेकिन 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने की वजह से अब गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनायी जाएगी, क्योंकि 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण के कारण मंदिरों में पूजा पाठ वर्जित रहेगा और इस दिन लगने वाला 56 भोग भी नहीं लगेगा।
अखिलेश चन्द्र चमोला