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नई दिल्ली : हिंदी के वरिष्ठ लेखक-कवि डॉ. गंगा प्रसाद विमल का तीन दिन पहले श्रीलंका में एक कार दुर्घटना में निधन हो गया है। इस दुर्घटना में उनके साथ उनकी पुत्री और नाती का भी निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर आज या कल दिल्ली पहुंचने की संभावना है।

गंगाप्रसाद विमल का जन्म सन् 1939 में उत्तरकाशी में हुआ था। आपके चार उपन्यास, पाँच कविता-संग्रहों और ग्यारह कहानी-संग्रहों के प्रकाशन के साथ गंगाप्रसाद विमल ने अनेक विश्वप्रसिद्ध कृतियों का हिन्दी में अनुवाद किया है। ‘आधुनिकता: साहित्य के संदर्भ में’ तथा ‘समकालीन कहानी का रचना-विधान’ आदि कुछेक गद्य रचनाओं के अतिरिक्त अज्ञेय, मुक्तिबोध तथा आधुनिक कहानी संबंधी उनकी उल्लेखनीय संपादित कृतियाँ हैं।

गंगाप्रसाद विमल की अनेक कृतियों के विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय लेखक सम्मेलनों में कई बार उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और अनेक विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी और भारतीय साहित्य पर व्याख्यान दिए। सन् 1994 में ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों और कविता-केंद्रों में अतिथि कवि के रूप में आमंत्रित किए गए। गंगाप्रसाद विमल को कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं। एक चौथाई शताब्दी दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े संस्थान में काम करने के उपरांत वे कुछ बरस केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक-पद पर कार्य करते रहे। गंगा प्रसाद विमल के आकस्मिक निधन से निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है।

गंगाप्रसाद विमल की प्रमुख कृतियाँ :

उपन्यास : मृगांतक, कहीं कुछ और, अपने से अलग।
कहानी-संग्रह : खोई हुई थाती, दस प्रतिनिधि कहानियाँ।
कविता : सन्नाटे से मुठभेड़, मैं वहाँ हूँ, अलिखित अदिखित।
संपादन : आधुनिकता : साहित्य के संदर्भ में, समकालीन कहानी का रचना-विधान।
जगमोहन आज़ाद