Bhole-Ji-Mangla-ji

विश्व में सेवा मार्ग पर चलते हुए कई सामाजिक संगठनों, संतो ने गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों के जीवन उत्थान के लिए विश्व सेवा पटल पर कई आयाम गढ़े हैं। इनमें कई लोगों ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने सेवा भाव को नि:स्वार्थ भाव से स्थापित कर जरूरतमंदों के जीवन स्तर को जीवंत करते हुए उनकी जीवन शैली को नयी तरह से परिभाषित करने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया है।

इस कड़ी में माता मंगला जी एवं भोले जी महाराज का नाम विश्व सेवा पटल पर सम्मान के साथ लिया जाता है। जो अपनी सेवा पंरपरा को आगे बढ़ाते हुए लाखों गरीबों,  असहायों और अनाथों के जीवन उत्थान के लिए पूरे देश में कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम कर रहे हैं, ताकि इन गरीब और जरूरमंद लोगों के जीवन में स्वास्थ्य-शिक्षा से लेकर तमाम दूसरी जरूरतों का विस्तार हो सके।

माता मंगला जी को अध्यात्म ज्ञान प्रचार-प्रसार तथा समाज सेवा की प्रेरणा अपने माता-पिता एवं गुरू योगिराज श्री हंसजी महाराज एवं माताश्री राजेश्वरी देवी से विरासत में मिली,जिनके आशीर्वाद से मंगला जी सामाजिक उत्थान तथा जनकल्याण के लिए अनेक परियोजनाओं की शुरूआत की है। जिनमें प्रमुख हैं, ‘हंस करूणा स्वास्थ्य परियोजना’, ‘राजेश्वरी करूणा शिक्षा परियोजना’, ‘गरीब वृद्धा’, ‘विकलांग एवं विधवा मासिक पेंशन योजना’, ‘राजेश्वरी करूणा स्वरोजगार योजना’, ‘हंस गौशाला योजना’ तथा ‘निःशुल्क चिकित्सा शिविर योजना’आदि प्रमुख है।

‘हंस कल्चर सेंटर’, ’हंस फाउंडेशन’  के प्रेरणास्रोत माता मंगला जी अपने पति भोले जी महाराज के साथ उत्तराखंड सहित देश के कई अन्य राज्यों में स्वास्थ्य-शिक्षा से लेकर जरूमंदों की मदद के लिए कई ऐसी योजनाओं पर काम कर रही है। जिन योजनाओं पर असल में सरकारों को काम करना चाहिए। अगर सेवा भाव के अर्थों में कहें तो, माता मंगला जी कई वर्षों से उन लोगों के बीच जाकर काम कर रही है। जिनके पास जीवन-यापन के लिए कुछ भी नहीं हैं। वह उन बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए काम कर रही है। जिनके भविष्य के सामने सिर्फ और सिर्फ अंधेरा था। वह उन विधवाओं और असाहया महिलाओं के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं, जिनके लिए संघर्षों के मायने ही खत्म हो चुके थे। इस लिए उन्हें उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में गरीबों की माँ के नाम से भी जाना जाता हैं।

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के पांगर गांव में जन्मी माता मंगला जी कई वर्षों से ‘द हंस फाउण्डेशन’, ’श्री हंस लोक जनकल्याण समिति’ और ‘हंस कल्चर सेंटर’ जैसी धर्मार्थ, सामाजिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के माध्यम् से देश-विदेश में गरीब तथा बेसहारा लोगों के बेहतर स्वास्थ्य-शिक्षा एवं उनके आध्यात्मिक,भौतिक विकास के लिए काम कर रही है।

माता मंगला जी के बारे में कहा जाता हैं कि जब वह बचपन में स्कूल पढ़ने जाती थी, तो स्कूल में जिन बच्चों के पास किताबें नहीं होती थी। उन्हें अपनी किताबें दें देती थी। जिन बच्चों के पैरों में चप्पलें नहीं होती थी। उन्हें अपने पैरों की चप्पल उतार कर दे आती थी। गांव में जो भी गरीब परिवार थे। उन्हें भी माता मंगला जी अपने घर से ले जाकर जरूरत का समाना दे आती। माता मंगला जी की इस सेवा भाव को देखकर माता-पिता जी बहुत प्रभावित होते थे। उनकी सेवा भाव की इन आदतों ने उन्हें आज सेवा के विश्व सेवा पटल पर सेवा के नये अध्याय के रूप में श्रेष्ठ मंच पर लाकर बैठा दिया हैं। जो आज लाखों-करोड़ों गरीब-असाहयों के लिए मां के रूप में श्रेयकर है।

उनकी सेवाओं की बात करें तो, माता मंगला जी  ने ‘श्री हंस करुणा स्वास्थ्य परियोजना’ के तहत उत्तराखंड के (सतपुली) पौड़ी गढ़वाल में गरीब लोगों के इलाज के लिए आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित 140 बिस्तरों वाले ‘हंस जरनल अस्पताल’ का निर्माण करया है। जो उत्तराखंड में स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं देने के साथ-साथ रोजगार प्रदान करने के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है। इस अस्पताल के माध्यम से उत्तराखंड के लाखों लोगों को स्वास्थ्य की सेवाएं निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं,तो हजारों लोगों के रोजगार के अवसर प्रदान कर,पलायन रोकने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इसी के साथ उत्तराखंड के हरिद्वार में 80 बेड का ‘हंस आई केयर अस्पताल’ का निर्माण किया हैं। जिसमें हजारों रोगियों का निःशुक्ल इलाज के साथ-साथ हर तरह की शाररिक जांच मुफ्त में की जा रही हैं,साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में निःशुल्क सचल चिकित्सा वाहन प्रदान करने के साथ-साथ समय-समय पर चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। गरीब और असाहयों महिलाओं को सहयोग करने की बात करें  तो, देश की तमाम संघर्षरत महिलाओं के लिए वह काम कर रही हैं। ख़ास तौर पर उन विधवा महिलाओं के लिए,जिनका कोई सहारा नहीं है। उनके लिए माता मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज निरतंर काम कर रहे हैं। जिसके तहत, राजस्थान में महिलाओं के लिए मिल्क प्लांटल लगाया गया हैं। राजस्थान में महिलाओं को स्वाभलंबी बनाने के कठपुतली उद्योग की शुरूआत की हैं। महिलाओं के लिए अचार बनाने के उद्योग खोले हैं। जिससे यहां की कई महिलाएं जुड़ीं और उन्होंने खुद के जीव स्तर को नये आयाम दिए हैं। इस उद्योग में लगभग दो सौ महिलाएं काम कर रही हैं। जो आत्म निर्भर हो चुकी हैं और खुद की दिनचर्या में परिर्वतन लाकर अपना जीवन-यापन कर रही हैं इन योजनाओं को  माता मंगला जी दूसरे राज्यों में भी शुरू कर रही हैं। जिससे दूर-दारज के क्षेत्रों में रह रही महिलाओं का जीवन स्तर भी सुधर सके।

पहाड़ की बात करें तो यहां  माता मंगला जी ने कई गांवों को गोद लिया है। इन गांव में स्वास्थ्य-शिक्षा से लेकर बिजली-पानी की बेहतर सुविधाओं के लिए वह निरंतर कार्य कर रही है। आज के समय में आप अगर गढ़वाल-कुमाउं के दूर-दराज के क्षेत्रों में जाएंगे तो आपको दिखेगा कि  मंगला जी  अपनी संस्था के माध्यम से यहां की महिलाओं के लिए किस तरह से काम कर रही हैं। किस तरह से इनके जीवन स्तर में सुधार के लिए योजनाएं चला रही है।

शिक्षा की बात करें तो, शिक्षा के क्षेत्र माता मंगला जी देश भर में उन बच्चों के लिए काम कर रही हैं। जिन्होंने आर्थिक मोर्चे पर हार मानते हुए खुद का भविष्य बनने की उम्मीदें छोड़ दी थी। लेकिन  माता मंगला जी ऐसे बच्चों के साथ खड़े होकर,इन बच्चों को शिक्षित कर देश में शिक्षा की अलख जगा रही है। इसी कड़ी में  मंगला जी ने गुजरात सरकार के साथ मिलकर अहमदाबाद के निकट भाणज गांव में स्कूली बच्चों के लिए देश के सबसे बड़े स्वचलित मध्याह्न भोजन रसोईघर,मिड्डे मिल का शुंभारम्भ भी किया है। जिसमें माता मंगला जी द्वारा 12 करोड़ रूपये की आर्थिक साहयता प्रदान की गयी है। इसी के साथ शिक्षा के क्षेत्र में देश एवं उत्तराखंड में अनेक योजनाएं चला रही है। जिसमें कई स्कूलों और गरीब बच्चों को गोद लेकर उनके उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे है। ताकि देश में शिक्षा के स्तर में सुधार हो और गरीब बच्चों का जीवन-स्तर सुधर सकें।
इसी के साथ माता मंगला जी  देश के लाखों बच्चों को शिक्षा तथा शिक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण कोर्स के लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है। साथ ही पहाड़ के दूर-दराज के क्षेत्रों में चल रहे स्कूल में छात्र-छात्राओं के आवगमन के लिए इन स्कूल को गोद लेकर कई स्कूल बसें प्रदान की हैं। ताकि किसी भी गरीब छात्र की पढाई में कोई दिक्क्त ना आएं और वह अपनी शिक्षा पूरी करने की दिशा में आगे बढ़े।
माता  मंगला जी स्वास्थ्य-शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के अलावा भारत के कई राज्यों में विधवा पेंशन का वितरण भी कर रही हैं। जिससे असाहय महिलाओं को अपना जीवन यापन करने में किसी प्रकार की दिक्कतें ना आ पाए।
उत्तराखंड में आयी भयंकर आपादों से पीड़ितों को उभारने में माता मंगला जी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जिसके तहत आपाद पीड़ितों को नया जीवन प्रदान करने के लिए कई गांव को गोद लेकर उनका पुर्ननिर्माण कराने और आपदा में अनाथ हुए बच्चों को गोद लेकर उनके रहन-सहन और शिक्षा की व्यवस्था माता जी के सहयोग से हो रही है।
खेलों की बात करें तो इस क्षेत्र में भी माता मंगला जी भारत के कई खिलाड़ियों को आर्थिक सहयोग प्रदान कर रही है। जिसके तहत दुनिया की सबसे ऊंची सात चोटियों के साथ-साथ उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव पर तिंरंगा फहराने वाली जुड़वा बहनें ताशी-नुंग्शी मलिक सहित देश के कई खिलाड़ियों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मदद कर रही हैं। इसी कड़ी में अपनी संस्था के माध्यम से उत्तराखंड में रेसलिंग को बढ़ावा देने के लिए मशहूर रेसलर महाबली खली को जोड़ कर,उत्तराखंड में रेसलिंग में रूचि रखने वाले बच्चों को निःशुल्क रेसलिंग की ट्रेनिंग देने के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाया है। लेखक-पत्रकारों एवं अधिवक्ताओं को एवं उनके परिवारों के उत्थान के लिए भी माताश्री मंगला जी एंव श्री भोले जी महाराज निरंतर सहयोग कर रहे है। उनका उद्देश्य विश्व में सेवा पटल पर अपनी सेवा के माध्यम से उस जरूरतमंद एवं गरीब व्यक्ति तक पहुंचना है। जिसके सही मायने में मदद की आवश्यकता है। जिसके लिए माताश्री मंगला जी एंव श्री भोले जी महाराज निरंतर कार्यरत है।

माता मंगला जी  जिस तरह से देश के उन ग्रामिण क्षेत्रों में अपनी संपूर्ण कार्य क्षमता के साथ कार्य कर रहे है, जहां लोगों को विकास के मायने ही मालूम नहीं है। विशेषकर स्वास्थ्य-शिक्षा के क्षेत्र में, जिसे देख कर कहा जा सकता हैं कि वह दिन दूर नहीं जब हमारे देश में ऐसे लोगों की सेवाओं के माध्यम् से बहुत जल्द विकास के मायने बदल जाएंगें और हम विश्व के मानचित्र पर खुद को विकसित पाएंगें।

माता मंगला जी को देश भर में स्वास्थ्य-शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए देश-विदेश की कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। जिसमें उत्तराखंड सरकार द्वारा ‘उत्तराखंड रत्न’ सम्मान प्रमुख हैं।

जगमोहन आज़ाद
देवभूमि संवाद.कॉम