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नई दिल्ली: एशियन गेम्स 2018 के 18वें संस्करण का आगाज आज (शनिवार) को भारतीय समयानुसार शाम 5.30 बजे इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता और पालम्बांग शहर में होने जा रहा है। 18 अगस्त से 2 सितबंर तक चलने वाले एशियाई खेलों के इस महाकुम्भ में 45 देश के खिलाड़ी 40 खेलों की 67 प्रतिस्पर्धाओं में किस्मत आजमाएंगे। इंडोनेशिया दूसरी बार एशियाई खेलों की मेजबानी कर रहा है। इससे पहले इंडोनेशिया ने साल 1962 में भी एशियाई खेलों की मेजबानी कर चुका है।

बता दें कि एशियाई खेलों की शुरुआत 1951 नई दिल्ली से हुई थी। पहले एशियन गेम्स में भारत 15 गोल्ड, 16 सिल्वर और 20 ब्रॉन्ज समेत कुल 51 पदकों के साथ अंक तालिका दूसरे स्थान पर रहा था। रैकिंग के हिसाब से यह भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। इस बार भी 18वें एशियन गेम्स में भारतीय खिलाडियों से इसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीदें हैं। तिरंगा हाथों में लेकर भारत के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा 572 खिलाड़ियों के भारतीय दल की अगवाई करते हुए नजर आएंगे।

हॉकी में टीम इंडिया का लक्ष्य केवल गोल्ड पर, तभी मिलेगा टोक्यो ओलंपिक में प्रवेश

वरिष्ठ खेल पत्रकार मनोज चतुर्वेदी की कलम से
भारत का एशियाई खेलों की हॉकी का इतिहास कोई बहुत अच्छा नहीं रहा है। 1951 में नई दिल्ली में शुरू हुए इन खेलों में हॉकी की शुरुआत 1958 में हुई। भारत को हॉकी में गोल्ड मेडल के लिए 1966 के बैंकाक एशियाई खेलों तक इंतजार करना पड़ा। वह अब तक सिर्फ तीन बार ही चैंपियन बन सकी है। भारत ने पुरुष हॉकी में 1966 के बाद 1998 में और 2014 में गोल्ड मेडल जीता है। लेकिन भारतीय पुरुष हॉकी टीम इस बार खिताब की मजबूत दावेदार मानी जा रही है।

भारतीय टीम है अच्छी रंगत में

भारतीय टीम आजकल अच्छी रंगत में है। उसने पिछले दिनों इंग्लैंड में हुई चैंपियंस ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करके रजत पदक जीता था। भारत को फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। सच यह है कि भारत यह मैच ऑस्ट्रेलिया के दमखम के बजाय अपनी गलती की वजह से हारा था। लेीकन दुनिया की दिग्गज टीमों की मौजूदगी में इस तरह का प्रदर्शन करना मायने रखता है। भारत इस प्रदर्शन की वजह से ही अपनी रैंकिंग में एक स्थान का सुधार करके पांचवें स्थान पर है। जकार्ता एशियाई खेलों में भाग लेने वाली टीमों में सबसे ऊंची रैंकिंग भारत है।

कप्तान को गोल्ड जीतने का भरोसा

भारतीय कप्तान पीआर श्रीजेश को भरोसा है कि हम इस बार लगातार दूसरा एशियाई खेलों की हॉकी का गोल्ड जीतने में सफल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि टीम की मौजूदा फॉर्म को देखते हुए हम जकार्ता में गोल्ड मेडल जीतेंगे। हम एशियाई खेलों में गोल्ड जीतकर 2020 के टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने क लक्ष्य के साथ उतरेंगे। ऐसा होने से हमें ओलंपिक की तैयारी के लिए दो साल का समय मिल जाएगा। भारत के गोल्ड मेडल जीतने से टीम का साल के आखिर में भुवनेश्वर में होने वाले विश्व कप में पोडियम पर चढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। वैसे भी भारत पिछले कुछ समय से टुकड़ों में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। अब जरूरत है प्रदर्शन में एकरूपता लाने की।

भारत का ग्रुप है थोड़ा टफ

भारत को एशियाई खेलों की हॉकी में कोरिया और जापान के साथ ग्रुप ए में रखा गया है। यह दोनों ही टीमें अच्छी हैं। लेकिन भारतीय टीम पिछले कुछ समय से जिस तरह खेल रही है, उससे लगता नहीं है कि यह टीमें उसके लिए दिक्कत बन सकती हैं। भारत की तरह पाकिस्तान यदि दूसरे ग्रुप में टॉप पर रहती है तो भारत को सेमीफाइनल में मलयेशिया से खेलना पड़ सकता है। भारतीय कोच हरेंद्र सिंह के दावे में विश्वास झलकता है। वह कहते हैं कि दुनिया में पांचवें नंबर और एशिया की नंबर एक टीम हैं और हम गोल्ड जीतकर ही अपनी रैंकिंग को सही ठहरा सकते हैं। इसलिए हमें गोल्ड से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा। वह कहते हैं कि चैंपियंस ट्रॉफी में की गई गलतियों को हम बेंगलुरू शिविर में दूर करने का प्रयास किया है। हमारी टीम एशियाई खेलों के लिए पूरी तरह से तैयार है।