1.5 million electricity employees of the country opposed the Electricity (Amendment) Bill 2020

नेशनल कोआर्डिनेशन कमीटी ऑफ  इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स (NCCOEE) के बैनर तले आज देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के विरोध में काली पट्टी बाँध कर विरोध दर्ज किया और केंद्र सरकार से  बिल वापस लेने की मांग की|

बिजली कर्मचारियों ने  इस बात पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है कि कोविड -19 की महामारी के बीच जब सारा देश एकजुट होकर संक्रमण से संघर्ष कर रहा है तब केंद्र सरकार  इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 जारी कर  निजीकरण करने में लगी है जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है| एनसीसीओईई ने बिल के उपभोक्ता और किसान विरोधी प्राविधानों से सभी प्रांतो के मुख्यमंत्रियों और संसद सदस्यों को पत्र भेजकर अवगत कराया है और उनसे मांग की है  कि वे इस बिल का प्रबल विरोध करे और इसे वापस कराने हेतु केंद्र सरकार पर दबाव डालें|

केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के वायदे को खारिज करते हुए ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कहा है कि वस्तुतः  निजीकरण  किसानों और आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा है और निजीकरण के बाद बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी| कोविड-19 संक्रमण के दौरान लाकडाउन का फायदा उठाते हुए  निजीकरण करने की निंदा करते हुए फेडरेशन ने इसे देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया है|

ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में कहा गया है कि नई टैरिफ नीति में सब्सिडी और क्रास सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी और किसी को भी ला गत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी| उन्होंने बताया कि अभी किसानों, गरीबी रेखा के नीचे और 500 यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती है जिसके चलते इन उपभोक्ताओं को लागत से कम मूल्य पर बिजली मिल रही है| अब नई नीति और निजीकरण के बाद सब्सिडी समाप्त होने से स्वाभाविक तौर पर  इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी|

आँकड़े देते हुए उन्होंने बताया कि बिजली की लागत का राष्ट्रीय औसत रु 06.78   प्रति यूनिट है और निजी कंपनी द्वारा  एक्ट के अनुसार  कम से कम 16% मुनाफा लेने के बाद रु 08  प्रति यूनिट से कम दर पर बिजली किसी को नहीं मिलेगी| इस प्रकार एक किसान को लगभग 6000 रु प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को 6000 से 8000 रु प्रति माह तक बिजली बिल देना होगा| उन्होंने कहा कि निजी वितरण कंपनियों को कोई घाटा न हो इसीलिये सब्सिडी समाप्त कर प्रीपेड मीटर लगाए जाने की योजना लाई जा रही है| अभी सरकारी कंपनी घाटा उठाकर किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली देती है| उन्होंने कहा कि सब्सिडी  समाप्त होने से किसानों और आम लोगों को भारी नुक्सान होगा जबकि क्रास सब्सीडी समाप्त होने से केवल उद्योगों और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लाभ होगा|

ऑल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने देश के सभी प्रांतों व् केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य मन्त्रियों को पत्र भेजकर अपील की  है कि वे कोविड-19 महामारी के बीच निजीकरण हेतु लाये गए  इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 का विरोध करें| फेडरेशन ने मुख्यमंत्रियों को प्रेषित पत्र में मुख्य रूप से यह सवाल उठाया है कि  इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पारित हो गया तो बिजली के मामले में राज्यों के अधिकार का हनन होगा और टैरिफ तय करने से लेकर बिजली की शिड्यूलिंग तक में केंद्र का दखल होगा|

ऑल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि बिजली संविधान की समवर्ती सूची में है जिसका अर्थ यह होता है कि बिजली के मामले में राज्यों को केंद्र के समान बराबर का अधिकार है किन्तु   इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिये बिजली के मामले में केंद्र एकाधिकार ज़माना चाहता है| उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून के अनुसार राज्य सरकार के कहने पर राज्य का विद्युत् नियामक आयोग किसानों, गरीबों और कम बिजली उपभोग करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी को सम्मिलित करते हुए बिजली की तर्कसंगत दरें तय करता है|   नए बिल में यह प्राविधान किया गया है कि नियामक आयोग बिजली की दरें तय करने में सब्सिडी को सम्मिलित नहीं कर सकता और सभी उपभोक्ताओं को बिजली की पूरी लागत देनी होगी| इस प्रकार बिजली की दरें तय करने में गरीब उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने के राज्य के अधिकार को छीना जा रहा है|

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार नए बिल के अनुसाए इलेक्ट्रिसिटी कॉन्ट्रैक्ट एनफोर्समेन्ट अथॉरिटी का गठन कर रही है| यह  अथॉरिटी बिजली वितरण कंपनियों और निजी क्षेत्र के बिजली उत्पादन घरों के बीच बिजली खरीद के करार के अनुसार भुगतान को सुनिश्चित करने का कार्य करेगी और इस  अथॉरिटी के पास यह अधिकार होगा कि यदि निजी उत्पादन कंपनी का भुगतान सुनिश्चित नहीं किया गया है तो राज्य को केंद्रीय क्षेत्र और पावर एक्सचेंज से एक यूनिट बिजली भी न मिल सके| करार का पालन कराने के अधिकार आज भी राज्य के नियामक आयोग के पास हैं किन्तु इस नई अथॉरिटी के बनने के बाद राज्य में बिजली  देने (शिड्यूलिंग) का अधिकार अब केंद्र सरकार के पास चला  जाएगा|

इसके अतिरिक्त नए बिल में यह प्राविधान किया जा रहा है कि राज्य विद्युत् नियामक आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार अब केंद्र सरकार के पास चला जायेगा और राज्य के पास नहीं रहेगा| इनके चयन हेतु अब केंद्र सरकार की चयन समिति होगी जिसमे राज्य का कोई प्रतिनिधि भी नहीं होगा|

उन्होंने बताया कि नए बिल में एक निश्चित प्रतिशत तक सोलर पावर  खरीदना राज्य के लिए बाध्यकारी होगा और ऐसा न करने पर राज्य को भारी पेनाल्टी देनी होगी| ध्यान रहे कि बिजली की जरूरत न होने पर भी यह बिजली खरीदनी पड़ेगी जिसके लिए राज्य को अपनी बिजली उत्पादन इकाइयों को बंद करना पडेगा जिससे सबसे सस्ती बिजली मिलती है| इस प्रकार इस बिल से केंद्र के अधिकार बढ़ेंगे और राज्य के अधिकारों का हनन होगा|

उन्होंने बताया कि  इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2020 में बिजली वितरण का निजीकरण करने हेतु डिस्ट्रीब्यूशन सब लाइसेंसी और फ्रेन्चाइजी के जरिये निजी क्षेत्र को विद्युत् वितरण सौंपने की बात है जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है| फ्रेन्चाइजी का प्रयोग पूरे देश में विफल हो चुका है और वांछित परिणाम न दे पाने के कारण लगभग सभी फ्रेंचाइजी करार रद्द कर दिए गए हैं | उत्तर प्रदेश में भी आगरा में टोरेंट पावर कंपनी की लूट चल रही है और कंपनी करार की कई शर्तों का उल्लंघन कर रही है| सीएजी ने भी टोरेंट कंपनी पर घपले के आरोप लगाए हैं| इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2020 में सब्सीडी और क्रास सब्सीडी समाप्त करने की बात लिखी है जिससे आम उपभोक्ता का टैरिफ बढ़ेगा| यह बिल किसी भी प्रकार जनहित में नहीं है अतः इसे तत्काल वापस लिया जाए|

उत्तराखंड के ऊर्जा भवन देहरादून में विधुत विभाग के सभी कर्मचारी व अभियन्ता संगठनों ने सोशियल डिसटेन्सिंग के दायरे में रहकर विरोध दर्ज किया व प्रबंध निदेशक उपाकालि के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार को ज्ञापन भेजा गया। आज के विरोध कार्यक्रम में मोर्चा के संयोजक इंशारूल हक, अभियन्ता संघ के वाईएस तोमर, कार्तिकेय दूबे, मुकेश कुमार, अनिल मिश्रा, उपनल संगठन के विनोद कवि, लेखा संघ के डी०सी० ध्यानी सहित सैकडों कार्मिक उपस्थित रहे।