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ऋषिकेश: आखिर कब तक हमारे जवान एलओसी पर आतंकियों के हाथो यूँही मरते रहेंगे। हर दूसरे दिन लगातार एक बुरी खबर सुनने को मिलती है कि आतंकियों के साथ मुठभेड़ में हमारे जवान शहीद हो गए हैं। आखिर कब रुकेगा शहादत का यह सिलसिला।

अभी अभी खबर आई है कि रविवार को जम्मू कश्मीर के बारामूला के उड़ी सेक्टर में एलओसी के पास हुए ग्रेनेड हमले में उत्तराखण्ड के ऋषिकेश शहर का वीर सपूत प्रदीप रावत शहीद हो गया। 4th गढ़वाल राइफ़ल के जवान प्रदीप रावत वर्तमान में जम्मू कश्मीर के उड़ी सेक्टर में तैनात थे। प्रदीप की शहादत की खबर उनके परिवार को सेना के अधिकारियों ने दी है। प्रदीप की शाहदत की सूचना मिलते ही परिवार सहित पूरे इलाके में मातम पसर गया है।

बताया जा रहा है कि गंगा नगर, ऋषिकेश निवासी 28 वर्षीय प्रदीप घर का इकलौता चिराग था। प्रदीप की 3 बहनों हैं। अभी एक साल पहले ही प्रदीप की शादी हुई थी और बताया जा रहा है कि उसकी पत्नी गर्भवती है। प्रदीप ने सुबह ही अपने परिवार के सदस्यों से फोन पर बात की थी और घर का हालचाल जाना था। मूलरूप से बैराई गांव, टिहरी गढ़वाल के रहने वाले प्रदीप रावत के पिता कुंवर सिंह रावत भी सेना से सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत्त है। शहीद प्रदीप का पार्थिव शरीर 13 अगस्त की शाम तक उनके घर गंगा नगर ऋषिकेश पहुंचेगा।

इससे पहले भी 7 अगस्त को उत्तराखण्ड के दो वीर सपूत हमीर सिंह पोखरियाल और मनदीप रावत भी जम्मू में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए थे। जम्मू कश्मीर सीमा से लगातार आ रही इस तरह की खबरों से उतराखंड सहित पूरा देश आहत एवं रोष में है।

हमें भी इस तरह की खबर लिखते समय मन को बहुत पीड़ा पहुचती है और यही हाल कमोबेश खबर पढने वालों का भी होता होगा। अब जरा सोचिये की जिस घर का इकलौता चिराग इस आतंकियों के हाथो शहीद होता है उस माँ, पर क्या बीत रही होगी, क्या बीत रही होगी उस पत्नी पर जिसका सिंदूर उजड़ गया हो और क्या बीतेगी उन बच्चों पर जिन्होंने अभी ठीक से चलना भी नहीं सीखा और उनके सिर से पिता का साया उठ जाता है। जरा सोचिये।

अब बहुत हो चुका है यह शहादत का खेल। अब सरकार को इस पर गंभीरता से विचार कर कोई न कोई हल निकालना चाहिये। और सरकार ही नहीं विपक्ष में बैठे तमाम राजनैतिक दलों को भी इस विषय पर एक मत होकर ठोस निर्णय लेना पड़ेगा ताकि आतंकवाद से सख्ती से निपटा जा सके।