Major Digvijay Singh Rawat: भारतीय सेना में पैरा कमांडो, कीर्ति चक्र विजेता मेजर दिग्विजय सिंह रावत इन दिनों अपने गृह नगर श्रीनगर गढ़वाल में हैं। मेजर दिग्विजय सिंह रावत के सम्मान में आज हेनब गढ़वाल विश्वविद्यालय में अभिनन्दन समारोह का आयोजन किया गया। अधिष्ठाता छात्र कल्याण बोर्ड द्वारा बिड़ला परिसर के एसीएल सभागर में आयोजित अभिनन्दन समारोह में कीर्तिचक्र विजेता मेजर दिग्विजय सिंह रावत का विश्वविद्यालय के शिक्षकों व छात्र छात्राओं ने जोरदार सम्मान किया।

इस अवसर पर मेजर दिग्विजय सिंह रावत के पिता (विश्वविद्यालय खेल विभाग के पूर्व कर्मचारी) दिगम्बर सिंह रावत को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मेजर दिग्विजय सिंह रावत ने विश्वविद्यालय में अपने पढ़ाई के दौरान के पलों को साझा करते हुए छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत और निरन्तर प्रयास ही सफलता का सबसे बड़ा साधन है इसलिए छात्र एक लक्ष्य बनाकर उस दिशा में कड़ी मेहनत करें। उन्होंने छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे अपने शिक्षकों, सीनियरों के साथ साझेदारी की भावना के साथ जुड़ें और उनके अनुभवों से सीखने का प्रयास करें।

इस दौरान उन्होंने सेना के दौरान के अपने अनुभवों को भी साझा किया। वहीं इस अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो महावीर सिंह नेगी ने कहा कि मेजर रावत का स्वागत करते हुए कहा कि कीर्तिचक्र से सम्मानित मेजर दिग्विजय हमारे लिए गर्व हैं। उनकी वीरता और सहास से हर क्षेत्रवासी गद्गद् हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो हिमांषु बोंड़ाई ने कहा कि उन्होंने मेजर दिग्विजय को बचपन से अब तक देखा है और उनका व्यक्तित्व ही है जो उनकी सबसे बड़ी पहचान है। इस मौके पर प्रो आशुतोष गुप्त ने मेजर दिग्विजय का विस्तृत परिचय व उपलब्धियां बताई। कार्यक्रम का संचालन डॉ राकेश नेगी ने द्वारा किया गया व मुख्य छात्रावास अधीक्षक प्रो दीपक कुमार द्वारा धन्यवाद भाषण दिया। इस अवसर पर बडी संख्या में छात्र छात्रायें उपस्थित थी।

श्रीनगर गढ़वाल से हुई पढ़ाई:

मेजर दिग्विजय सिंह रावत की शुरुआती पढ़ाई केवी श्रीनगर से हुई। उसके बाद शहर के ही कान्वेंट स्कूल से ही उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। उसके बाद बीएससी के लिए उन्होंने गढ़वाल विवि में एडमिशन लिया। बीएससी के दौरान ही उन्होंने सेना में जानें की कोशिशें शुरू कर दी। बाद वे टेक्निकल एंट्री के जरिये वे सेना में शामिल हुये। यहां से मेजर दिग्विजय सिंह रावत का सेना में सफर शुरू हुआ। वे कमीशन लेकर सेना में लेफ्टिनेंट बने। आज वे पैरा कमांडो हैं।

क्या होता है पैरा कमांडो:

पैरा कमांडो, भारतीय सेना की पैराशूट रेजिमेंट की एक विशेष बल बटालियन है। इसे अनौपचारिक रूप से पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) के नाम से भी जाना जाता है। पैरा कमांडो, दुनिया की बेहतरीन और बहुमुखी स्पेशल फ़ोर्स यूनिटों में से एक है। इनका काम देश के दुश्मनों के ख़िलाफ़ खास ऑपरेशन करना होता है। पैरा कमांडो, आतंकवाद-रोधी, विद्रोह-विरोधी, और प्रत्यक्ष कार्रवाई जैसी कई भूमिकाओं में माहिर होते हैं।

वो घटना जिसके लिए मिला कीर्ति चक्र:

कीर्ति चक्र से सम्मानित मेजर दिग्विजय सिंह रावत ने बताया मणिपुर में बड़े वीवीआइपी का दौरा था। इस दौरान वे भी वहीं तैनात थे। सुरक्षा सम्बंधी ड्यूटी में वे भी तैनात थे। तभी उनके एक सोर्स ने उन्हें बताया कि आने वाले वीवीआइपी की जान को खतरा है। कुछ नक्सल समूह के लोग वीवीआइपी पर हमला करने जा रहे हैं। इस इनपुट को उन्होंने अपने सीनियर अधिकारियों के साथ साझा किया। जिसके बाद इस पूरे इनपुट पर एक प्लान बनाया गया। जिसके बाद हमला करने वाले लोगों को मार गिराया गया। साथ ही वीआईपी की जान भी बचाई गई। इसके लिए उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।