“कागज सी मी सर्र रुझी गयूं तेरी छाली माया मा”
श्रीनगर गढ़वाल: शुक्रवार को बिगुल संस्था एवम श्रीनगर क्षेत्र के साहित्यकर्मियों ने विख्यात रंगकर्मी, साहित्यकार एवं गढ़वाल विश्व विद्यालय श्रीनगर के अंग्रेजी विभाग के प्रोफ़ेसर डीआर पुरोहित के सेवानिवृति पर उनके सम्मान में श्रीनगर गढ़वाल में कवि सम्मेलन आयोजित किया। प्रो. डीआर पुरोहित उत्तराखण्ड लोककला एवं निष्पादन विभाग के निदेशक भी रह चुके हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती हेमा खंडूड़ी, श्रीमती सुमन देवली तथा श्रीमती सुबोधिनी खंडूरी के स्वागत गीत एवं मंगलाचरण गायन से किया गया।
इस अवसर पर बिगुल संस्था के संरक्षक एवम शहर के विशिष्ट डॉ. एम ऐन गैरोला ने कहा कि प्रो. डीआर पुरोहित लोक विरासत हैं। लोक कला एवम संस्कृति के लिए उनका योगदान अतुलनीय है। आमंत्रित अतिथि आई एम काला ने कहा कि समाज को प्रो. पुरोहित से प्रेरणा लेने की जरुरत है क्योंकि अंग्रेजी भाषा के प्रोफेसर होंने पर भी वे हमेशा लोक भाषा संस्कृति के उत्थान के लिए प्रयासरत हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष राजकीय शिक्षक संघ के मंडलीय संरक्षक श्री शिव सिंह नेगी ने कहा हमारे माध्यमिक शिक्षा विभाग में प्रो. पुरोहित के सैकड़ों शिष्य छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी व अन्य भाषाओं के शिक्षण के साथ ही लोककला, संस्कृति, रंगमंच एवम लोकसाहित्य का ज्ञान भी देते हैं। जिसकी प्रेरणा प्रो. पुरोहित ही हैं।
कार्यक्रम के संयोजक बिगुल के केंद्रीय सचेतक त्रिलोकदर्शन थपलियाल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. पुरोहित ने बिगुल संस्था व श्रीनगर क्षेत्र के रंगकर्मियों संस्कृतिकर्मियों व सहित्यकर्मियों का धन्यवाद किया। तथा बिगुल संस्था को साहित्यिक, सांस्कृतिक व रंगमंचीय सहयोग देने की बात की। इस कार्यक्रम का संचालन नवीन रतूड़ी ने किया
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में हिंदी-गढ़वाली कवि सम्मेलन का संचालन लोकभाषा के अग्रणी कवि संदीप रावत ने किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि जयकृष्ण पैन्यूली ने की। जिसमें 11 कवि-कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया।
इस कार्यक्रम में नवोदित कवयित्री के रूप में छात्रा कु. शिवांगी खण्डूड़ी ने भी काव्य पाठ किया। राधा मैंदोली ने सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन की शुरुवात की। दिलवर रावत ने बेरोजगारी पर कविता सुनाई। दिनेश फोन्दड़ी ने प्रकृति पर कविता- ‘वो सावन की रिमझिम वो बारिश का पानी, वो तारों की टिमटिम रातें ‘सुहानी सुनाई। डॉ.अशोक बडोनी ने ज्वलंत समस्या आतंकवाद व कश्मीर पर रचना “बंदूकें उगल रहीं हैं आग आज धरती के स्वर्ग पर” सुनाई। आरती पुण्डीर ने जिंदगी पर रचना “जिंदगी जब तक तूफानों से दो चार नहीं होती, जीवन नैय्या साहिलों के पार नहीं होती” सुनाई। साईनी उनियाल ने आजकल के पारिवारिक हालातों पर रचना- “नन्हा बालक माँ से बोला पापा कब आऐंगे” सुनाई। संदीप रावत ने गढ़वाली रचना- “कागज सी मी सर्र रूझी गयूं तेरी छाली माया मा” सुनाई। इसके अलावा ओमप्रकाश सैलानी, शिशुपाल चौधरी ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध कवि जयकृष्ण पैन्यूली ने “मछलियो का अब रेत पर तैरने का वक्त आ गया है” सुनाई।
इस अवसर पर बिगुल की संस्थापक श्रीमंती मंजुला तिवाड़ी, अध्यक्ष डॉ. नूतन गैरोला, सचिव-श्रीमती कान्ता घिल्डियाल, कोषाध्यक्ष श्रीमती मंजुला पांडेय, के अलावा शैलेन्द्र तिवारी, परशुराम भट्ट, राजेश सेमवाल, परवेज अहमद, सुधीर डंगवाल, विपिन नौटियाल, नरेंश जमलोकी, नरेंद्र तिवारी, राकेश मोहन कंडारी, देवेंद्र उनियाल, प्रमोद तिवारी, चन्दी प्रसाद बंगवाल, महेंद्र पुंडीर, जीतमणि थपलियाल, दिनेश पुंडीर, रंजन नेगी, जगदीश रावत, सीपी देवली, शरद लिंगवाल, हरीश खंडूरी, सुनील कोटनाला, वंशिका , विजया राणा,वीपी वेदवाल, महावीर कंडारी, महेंद्र कठैत, जगपाल चौहान, सहित बहुत से साहित्य, संस्कृतिकर्मी एवम शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।