श्रीनगर गढ़वाल: भारतीय नौसेना के महत्वपूर्ण “नाविका सागर परिक्रमा” अभियान दल का नेतृत्व कर रही लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने श्रीनगर गढ़वाल मे तक्षशिला आईएएस अकादमी के छात्र छात्राओं के बीच अपने अनुभव साझा किये। छात्र-छात्रायें वर्तिका जोशी को अपने बीच पा कर काफी खुश दिखे। वर्तिका जोशी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि समुद्र में मौसम का कोई भरोसा नहीं होता है, और हर एक क्षण मौत से सामना होता रहता है, ऐसे मे ट्रेनिंग के दौरान,  मानसिक परिपक्वता, साहस, हौसले व जज्बे की असली परीक्षा होती है। गोवा से प्रारम्भ हुआ यह अभियान दक्षिण पूर्व एशिया, आस्ट्रेलिया, न्येजीलैंड, प्रशांत महासागर, दक्षिण अमेरिका के सबसे निचले बिंदु केप हार्न से होता हुए अटलांटिक् महासागर, हिंद महासागर, अरब सागर होता हुआ नौ माह की अवधि में गोवा में समाप्त हुआ। जहां पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण तथा नौसेना के उच्च अधिकारियों ने 6 सदस्यीय दल का स्वागत किया। वर्तिका ने पहाड की लडकियों से नौसेना में अधिक से अधिक जुडने के लिए कहा ताकि वे भी समुद्र का सीना चीर नाम कमा सकें। वर्तिका को अपने बीच पाकर छात्र-छात्रायें काफी खुश थे। छात्र छात्राओं का मानना था कि पहाड की लडकी होने के बावजूद समुद्री जीवन से सामंजस्य बिठाते हुए तमाम कठिनाईयों को पार कर “नाविका सागर परिक्रमा” पूरा कर एक नया इतिहास रचा व भारतीय नौसेना का मस्तक गर्व से उंचा किया। इस दौरान छात्र छात्राओं ने ले0 कमांडर वर्तिका जोशी से समुद्री अभियान के तहत शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा आध्यात्मिक सामंजस्य दल ने कैसे बनाये रखा आदि प्रश्न पूछे। वर्तिका ने युवाओं को सैन्य सेवाओं से संबंधित तैयारियों के टिप्स भी दिये। इससे पहले अकादमी के निदेशक डा नवीन प्रकाश नौटियाल ने हिमालय की बेटी वर्तिका जोशी को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर देवेन्द्र फर्सवाण, दीपांशु गुप्ता, शैलेष चमोली, विजय, गौतम, गौरी, ज्योति, रूचि, किरन, अंजलि, रजनी, कोमल, आरती, कंचन समेत संस्थान छात्र छात्रायें बडी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन नवीन चमोली द्वारा किया गया।