kullu-dashehara

दशहरा हर्ष और उल्लास से मनाया जाने वाला विजय का पर्व है, जो विश्व को यह शिक्षा देता है कि बुराई चाहे कितनी ही शक्तिशाली क्यों न हो, परंतु सत्य एवं अच्छाई के समक्ष स्थापित नहीं हो सकती, पाप का अंत होना तय होता है। वह अधिक समय तक अपना वर्चस्व स्थापित नहीं कर सकता उक्त विचार हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कुल्लू दशहरा के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किए।

राज्यपाल ने प्रदेश की जनता को विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कुल्लू दशहरा यहां समूची घाटी में बसे ग्रामीण लोगों की देव आस्था एवं सामाजिक प्रतिष्ठा का ही प्रतीक नहीं, बल्कि यहां की सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक सदभाव का आइना और व्यापार का भी प्रमुख केंद्र है। 17वीं शताब्दी से शुरु हुए कुल्लू दशहरा उत्सव का स्वरूप आज इतना वृहद हो गया है कि इसमें रोजाना हजारों-लाख लोग शिरकत करते हैं, जिनमें कुल्‍लू ही नहीं, देश-विदेश के पर्यटक और देव संस्कृति पर अध्ययन करने वाले हजारों शोधार्थी भी शामिल हैं।

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हम सब सौभाग्यशाली है कि हम ऐसी लोक परंपराओं के बीच मौजूद है जिन्हें जानने समझने पूरी दुनिया इस देव भूमि में आती है। मैं यहाँ आए सभी अतिथियों और श्रद्धालुओं का धन्यवाद करता हूं कि आप सब आज हमारे साथ इन खुबसूरत लोक सांस्कृतिक परंपराओं का आनंद ले रहे हैं और इस देवभूमि में मौजूद देवी-देवताओं का आशीर्वाद हमें मिल रहा है। इस मौके पर विशेष तौर पर कुल्लू दशहरा पहुंचे माताश्री मंगलाजी एवं भोलेजी महाराज जी का  राज्यपाल आचार्य देवव्रत, हिमाचल प्रदेश के वन एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने अभिवादन किया।

इस मौके पर माताश्री मंगलाजी ने मंच पर आसानी महामहिम राज्यपाल एवं अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि हर वर्ष दशहरे के दिन हम रावण को जलाते हैं और खुशियां मनाते हैं, लेकिन रावण के पुतले जलाने मात्रा से रावण मरेगा नहीं, जब तक हम अपने अंदर छिपी रावण वृत्ति को दूर नहीं करेंगे तब रावण हर क्षण हमारे भीतर से बाहर आता ही रहेगा और हमें परेशान करता रहेगा। इसलिए हमें अपने भीतर छीपी रावण की वृत्ति को हटाना होगा।

माताश्री मंगलाजी ने कुल्लू दशहरा में निमंत्रण देने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार और कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर का आभार प्रकट करते हुआ कहा कि हम भगवान रघुनाथजी एवं माता भुवनेश्वरी से देश में सुख-शांति-समृद्धि की कामना करते हैं।

आज हम सब उस लोक परंपरा के साथ खड़े होने के गवाह बन रहे है, जिसे पूरी दुनिया में पूजा जाता है। जिसे पूरी दुनिया देखने-समझने आती है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि ऐसी परंपराएं केवल भारत में ही देखने को मिलती है। आप इस दशहरे के महत्व को समझें तो यह दशहरा पर्व, परंपरा, रीतिरिवाज और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता है। जब पूरे भारत में विजयादशमी की समाप्ति होती है तब इस घाटी में उत्सव के रंग बिखरने लगते। हम इस लोक उत्सव में आएं आप सभी दर्शनार्थियों को इस लोक पर्व की बधाई देते हैं।

इस मौके पर हिमाचल प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, माताश्री मंगला जी एवं श्रीभोलेजी महाराज जी का स्वागत करते हुए कहा कि आज हिमाचल प्रदेश की जनता धन्य हो गई है कि उनके लोक उत्सव पर्व में महामहिम राज्यपाल जी और समाजसेवी माता मंगला जी एवं श्रीभोलेजी महाराज जी के साथ हजारों की संख्या में प्रबुद्धजन शामिल हुए हैं। श्री ठाकुर ने बताया कि माताश्री मंगलाजी एवं भोलेजी महाराज जी अपनी संस्था हंस फाउंडेशन एवं हंस कल्चर सेंटर दिल्ली के माध्यम से निरंतर हिमाचल में गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को सेवाएं दे रहे हैं और यह हम सब के सौभाग्य की बात है हमारे लोक सांस्कृतिक देव उत्सव के मौके पर माताश्री मंगलाजी एवं भोलेजी महाराज जी का आशीष हम सब को मिल रहा है। इसके हम हिमाचल प्रदेश की जनता की तरफ से आपका आभार प्रकट करते हैं।

इस मौके पर बंजारा के विधायक सुरेंद्र शौरी, आनी के विधायक किशोरी लाल, कुल्लू के विधायक सुंदर सिंह, कुल्लू के पूर्व विधायक राज महेश्वर सिंह, कुल्लू देव-देवता कारदार संघ के अध्यक्ष जयचंद ठाकुर और कुल्लू के उपायुक्त और अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव समिति के उपाध्यक्ष युनूस खान सहित देश-विदेश आए लाखों दर्शक मौजूद थे।

जगमोहन ‘आज़ाद’