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देहरादून: उत्तराखण्ड के निकाय चुनावों में इस बार वर्ष 2013 के निकाय चुनाव में भाग लेने वाले 961 प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इन सभी पर पिछले चुनावों में हुए खर्च का विवरण न देने के कारण निर्वाचन आयोग ने छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। निर्वाचन आयोग के नियमानुसार चुनाव परिणाम घोषित होने के एक माह के भीतर सभी प्रत्याशियों को अपना चुनावी खर्च का व्योरा संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी के जरिए निर्वाचन आयोग को देना होता है। लेकिन 2013 के निकाय चुनावों में भाग लेने वाले सैकड़ों प्रत्याशियों ने तय समयसीमा तक अपना चुनावी व्यय का व्योरा आयोग को उपलब्ध नहीं कराया।

आयोग द्वारा उन्हें कई बार नोटिस भी भेजा गया। हालांकि इसके बाद कुछ प्रत्याशियों ने अपने खर्च का विवरण दिया, लेकिन सैकड़ों उम्मीदवार फिर भी जवाब देने नहीं आए। आयोग ने वर्ष 2016 में इन्हें अंतिम सुनवाई का मौका दिया था। इसके बाद भी इन लोगों ने आयोग के सामने अपना पक्ष नहीं रखा। इस पर आयोग ने इन सभी को छह वर्ष के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है। आयोग ने अंतिम तौर पर प्रतिबंधित किए गए नेताओं की लिस्ट जारी कर दी है। प्रदेशभर में ऐसे प्रत्याशियों की संख्या 916 है। इनमे सबसे ज्यादा 317 प्रत्याशी ऊधमसिंहनगर जनपद के हैं। निर्वाचन आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को प्रतिबंधित लोगों की सूची भेज दी है। यह सभी छह वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।