शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों का सत्यापन

देहरादून : राज्य के प्राथमिक एवं जूनियर शिक्षकों के लिए राहत खबर भरी है। अब शिक्षकों को अपने शैक्षिक एवं प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों का सत्यापन स्वयं नहीं करवाना पड़ेगा। प्रदेशभर में प्राथमिक एवं जूनियर शिक्षकों की भारी नाराजगी के बाद शिक्षा विभाग को अपना आदेश वापस लेना पड़ा है। शिक्षा निदेशक (प्रारंभिक शिक्षा) आरके कुंवर ने इसको लेकर संशोधित आदेश जारी कर दिया है। जिसके अनुसार अब शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन शिक्षक स्वयं नहीं बल्कि जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक और उप शिक्षा अधिकारी खुद कराएंगे।

क्या था पूरा मामला

बता दें प्रदेश में फर्जी शिक्षक नियुक्ति के मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने बीते 5 अक्टूबर को शिक्षा विभाग को निर्देशित किया था कि प्रदेशभर के प्राथमिक एवं जूनियर शिक्षकों के उन तमाम शैक्षिक एवं प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों की जांच कराई जाये जिनके आधार पर उनकी नियुक्ति हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने शिक्षकों से उनके शैक्षिक एवं प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों की तीन-तीन स्वप्रमाणित प्रतियां जमा करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद शिक्षकों ने अपने प्रमाण पत्रों की स्वप्रमाणित तीन-तीन प्रतियां संबंधित खंड एवं जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा करा दी थी।

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परंतु इसी बीच 27 अक्टूबर को प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने एक अजीब फरमान जारी कर दिया था जिसके अनुसार शिक्षकों को अपने शैक्षिक एवं प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों का सत्यापन स्वयं संबंधित बोर्ड, विश्वविद्यालय से करवाकर विभाग को देना था। शिक्षा निदेशक ने इस फरमान से शिक्षक भड़क उठे। इसको लेकर प्रदेशभर में कई जगहों पर शिक्षकों द्वारा प्रदर्शन किया गया। शिक्षकों में बढ़ते रोष को देखते हुए शिक्षा विभाग को बैकफुट पर आना पड़ा। मंगलवार को शिक्षा निदेशक ने अपने पूर्व आदेश को वापस लेते हुए एक संशोधित आदेश जारी किया है जिसमें सभी शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच (सत्यापन) जिला शिक्षा अधिकारी और उप शिक्षा अधिकारियों से कराने को कहा है। निदेशक के आदेश के बाद राज्य के शिक्षकों ने राहत की सांस ली है।

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