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पौड़ी गढ़वाल : कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए किये गए लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी उत्तराखंडी अपने अपने गाँव लौट रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक राज्य में करीब 99 हजार प्रवासी लौट चुके हैं। शासन/ प्रशासन द्वारा गाँव लौट रहे प्रवासियों को क्वारंटाइन करने की अंतिम जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को दी गई है। ग्राम प्रधान बाहर से आये प्रवासियों को 14 दिनों के लिए गाँव के विद्यालयों में या जिन गांवों में पंचायत घर बने हैं वहाँ क्वारंटाइन सेंटर बनाकर ठहरा रहे हैं। परन्तु जैसा कि सभी जानते हैं कि पहाड़ के गाँव में अधिकतर विद्यालय गाँव से दूर एकांत में (जंगल से नजदीक) हैं। जहाँ शाम होते ही जंगली जानवरों का खतरा मंडराने लगता है। जिसकी वजह से स्कूल में बने क्वारंटाइन सेंटर में अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ रह रहे लोगों में कोरोना से ज्यादा जंगली जानवरों का खौफ बैठा हुआ है, और वे हर वक्त डर के साए में जी रहे हैं। अभी कल की बात है पौड़ी जिले के कोट ब्लाक में घास लेने गई दो महिलाओं पर जंगली भालू ने अचानक हमला कर घायल कर था। इसके अलावा गुलदार के हमले की घटनायें भी गांवों में आये दिन सुनाई देती हैं। इसी को देखते हुए अब गाँव से दूर स्कूलों में क्वारंटाइन किये गए लोग अब ग्राम प्रधान से होम क्वारंटाइन में रहने की मांग कर रहे हैं।

ताजे घटनाक्रम में पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम थापला के प्रधान राकेश कुमार द्वारा गाँव से दूर प्राथमिक विद्यालय में बने क्वारंटाइन सेंटर में 16 मई को एक परिवार को क्वारेंटाइन किया गया था। कल देर श्याम 7 बजे जब उक्त परिवार अपनी छोटी बच्ची के साथ विद्यालय प्रांगण में बैठे थे तभी अचानक एक जंगली भालू विद्यालय प्रांगण में आ धमका। उन लोगों ने किसी तरह विद्यालय के अंदर भागकर अपनी जान बचाई। जिसके बाद दहशत में जी रहे परिवार को ग्राम प्रधान ने सुबह अपने ही खाली पड़े घर पर क्वारंटाइन करवाया। ग्राम प्रधान में गाँव से दूर एकांत में (विद्यालय) बने क्वारंटाइन सेंटर में जगली जानवरों के खतरे को ध्यान में रखते हुए पौड़ी जिलाधिकारी को पत्र लिखकर लॉकडाउन के दौरान गाँव आने वाले प्रवासी परिवारों को गाँव में ही होम क्वारंटाइन करने का आग्रह किया है।

जगमोहन डांगी, पौडी गढ़वाल