श्रीनगर गढ़वाल: हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल द्वारा स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आज 14अगस्त को कल्याणेश्वर धर्मशाला के सभागार में साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। वरिष्ठ रंगकर्मी विमल बहुगुणा की अध्यक्षता में संपन्न हुई गोष्ठी में कवियों ने रचनाओं के माध्यम से आजादी के अमृत महोत्सव को विश्वपटल पर भारत की विशिष्ट उपलब्धि के रूप में रेखांकित किया।
सुप्रसिद्ध कवि व लेखक शम्भू प्रसाद भट्ट स्नेहिल ने अपनी कविता के माध्यम से राष्ट्रीय नायकों को श्रद्धांजलि प्रदान करते हुए स्वतंत्रतोत्तर भारत की वैज्ञानिक, औद्योगिक, आर्थिक, सामरिक व वाणिज्यिक प्रगति पर प्रकाश डाला। मेनका मिश्रा ने सीता माता के समर्पण, चरित्र व आदर्श को दर्शाती कविता का भावपूर्ण पाठ किया। कवि नीरज नैथानी ने विश्व स्तर पर हो रही लड़ाइयों युद्ध विभीषिका का दुष्परिणाम बताते हुए निर्दोष व मासूम लोगों के रक्त पात का विरोध करते हुए विश्व शांति स्थापना व भाईचारे की आवश्यकता पर बल दिया। शिक्षक महेश गिरि ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बलिदान देने वाले देश भक्तों का स्मरण करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि प्रदान करते हुए राष्ट्रीय कवि की रचना- भरा नहीं जो भावों से, बहती जिस में रसधार नहीं। हृदय नहीं वह पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं’ का प्रभावशाली पाठ किया।
युवा कवि व चित्रकार जय कृष्ण पैन्यूली ने रचनाओं के माध्यम से समाज की विसंगतियों पर करारी चोट की। सामाजिक कार्यकर्ता लखपत सिंह भण्डारी ने भारत की स्वतंत्रता पर्व को पुनीत अवसर बताते हुए राष्ट्रीय प्रगति व खुशहाली की कामना करत हुए सभी को शुभकामनाएं प्रेषित कीं। पत्रकार देवेन्द्र गौड़ ने लोकभाषा गढ़वाली में पर्यावरणीय चेतना को उल्लेखित करती कविता का पाठ किया। विमल बहुगुणा ने नेता सुभाष चन्द्र बोस द्वारा गया गया नव राष्ट्रीय गीत का समधुर कंठ से पाठ किया। डा प्रकाश चमोली ने राष्ट्रीय जन जागरण गीत का गायन कर परिवेश को देश भक्ति व राष्ट्र प्रेम के जज्बे से भर दिया।समापन पर समस्त सहभागियों ने राष्ट्रगान ‘जन गण मन अधिनायक जय हे ‘का सस्वर गायन कर गोष्ठी के संपादित होने की घोषणा की।