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ऋषिकेश: गंगा एक्ट की मांग को लेकर पिछले 116 दिनों से अनशन कर रहे संत गोपालदास ने बुधवार से अनिश्चितकालीन मौन तप के साथ संथारा साधना को घोषणा की है। बता दें कि संथारा जैन धर्म में एक साधना है। इस साधना को जैनमुनि तब करते हैं जब उनके जीवन का अंतिम समय होता। संथारा साधना में अन्न-जल देते हैं। संत गोपाल दास गंगा रक्षा के लिए स्वामी सानंद के समर्थन में पिछले 116 दिनों से अनशन पर बठे हैं।

इस दौरान उनकी तबियत बिगड़ने की वजह से उन्हें एम्स अस्पताल ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। मंगलवार को एम्स प्रशासन ने संत गोपालदास को डिस्चार्ज कर मातृसदन आश्रम भिजवा दिया गया। संत गोपालदास ने आरोप लगाया कि एम्स प्रशासन की ओर उनसे कई बार यह कहलवाने का प्रयास किया गया कि मातृसदन की ओर से उन्हें तप करने के लिए उकसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एम्स में स्वामी सानंद की प्राकृतिक मौत नहीं हुई और एम्स उनके जीवन के लिए भी सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि एम्स में चिकित्सा पद्धति सुरक्षित नहीं रह गई है।

संत गोपालदास ने कहा कि उन्होंने गंगा को बचाने के लिए संकल्प लिया है और उनके लिए शरीर से ज्यादा जरूरी भारतीय सभ्यता की सुरक्षा है। अपने सामने वे सभ्यता को खत्म होते नहीं देख सकते। उन्होंने कहा कि वह सरकार की कार्यप्रणाली से खिन्न होकर संथारा साधना में जा रहे हैं और बुधवार से अनिश्चितकालीन मौन धारण कर लेंगे। संत गोपालदास ने बताया कि बीती 13 अक्तूबर को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संथारा साधना के दौरान शासन और प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की खलल न डालने की अपील की थी।

इस बीच मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने कहा कि वे गोपालदास से संथारा साधना के दौरान जल न त्यागने की अपील करेंगे। बता दें कि संत गोपालदास के साथ ही गंगा एक्ट की मांग को लेकर 112 दिनों तक अनशन पर बैठे पर्यावरणविद् स्वामी सानंद का गुरुवार दोपहर को निधन हो गया था।

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