नई दिल्लीः हिन्दी एवं गढ़वाली के वरिष्ठ साहित्यकार ललित केशवान को उनके 85वें जन्मदिन के अवसर पर उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली द्वारा गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली में गढ़ साहित्य आजनम सेवा सम्मान प्रदान किया गया। जिसमें 51000/- रूपये, अंग वस्त्र, मान पत्र, स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। ललित केशवान ने हिन्दी और गढ़वाली में लगभग दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं है तथा 84 साल के उम्र में भी साहित्य सृजन कर रहे हैं। इस सम्मान समारोह में ललित केशवान की कविताओं का पाठ भी किया गया तथा कई साहित्यकारों ने ललित केशवान के साथ अपने संस्मरण भी साझा किये।

उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच के संयोजक दिनेश ध्यानी ने बताया कि ललित केशवान के साहित्य संसार का ध्यान में रखते हुए उनके जन्मदिन पर उन्हें यह सम्मान प्रदान किये जाना का निर्णय लिया गया। उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच ने यह भी निर्णय लिया कि भविष्य में जो भी साहित्यकार लगातार साहित्य सृजन कर रहा हो तथा उसकी उम्र पिचासी साल के आसपास हो तथा उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच के साथ कम से कम दस साल तक जुड़ा रहा हो उस साहित्यकार को यह सम्मान प्रदान किया जायेगा। इसके अतिरिक्त मंच द्वारा प्रदान किया जाने वाला महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल साहित्य सम्मान भी यथावत हर साल जारी रहेगा।

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली द्वारा ललित केशवान जी को दिया गया गढ़ साहित्य आजनम सेवा सम्मान -2023 आज तक के सम्मानों में सबसे अहम और उत्तराखण्ड की किसी भी सामाजिक संस्था द्वारा साहित्य के क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक धनराशि दिए जाने के लिए जाना जायेगा।  आज तक किसी भी संस्था ने किसी भी साहित्यकार को इतनी बड़ी धनराशि सम्मान के रूप में नहीं दी। हालत यह हैं कि अब तो साहित्य, संस्कृति, समाजसेवा के नाम पर आये दिन अधिकांश सम्मान बिना आर्थिक सम्मान के रेवड़ियों की तरह बांटे जा रहे हैं।  जो कि बहुत गलत परम्परा है। इससे जो सम्मान वास्तव में सम्मान हैं उनकी गरिमा भी कम होती है। आज तो हालात यह हैं कि बहुत सारे लोग अपने सम्मान के लिए लोगों और संस्थाओं से पत्र लिखवाकर मांग रहे हैं। इसलिए इस दिशा में भी समाज को सोचना होगा कि किसी भी सम्मान की गरिमा होती है और उसको सम्मानजनक तरीके से दिया और लिया जाना चाहिए।

डॉ  विनोद बछेती ने कहा कि ललित केशवान दिल्ली एनसीआर में साहित्यकारों की एक नई पीढ़ी के प्रेरणाश्रोत हैं और आज भी लोगों को केशवान जी से सीखने की जरुरत है। हमें गढ़वाली-कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु और अधिक प्रयास करने होंगे। केशवान जी का सहयोग और मार्गदर्शन जरुरी है। उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली आज बहुत बड़े आयाम पर काम कर रहा है। इसके लिए संयोजक दिनेश ध्यानी और उनकी पूरी टीम को बधाई। हम समाज से भी अपील करते हैं कि हमें आज अपने भाषाई सरोकारों के लिए एकजुट होना होगा और गढ़वाली-कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु अधिक तेज प्रयास करेने होंगे।

इस आयोजन में उत्तराखण्ड समाज के कई वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार, लेखक एवं सामाजिक संगठनों के कई गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। जिनमें  महेश चन्द्रा, साहित्यकार जयपाल सिंह रावत छिप्वडु दा, जगमोहन सिंह रावत जगमोरा, दर्शन सिंह रावत, जयपाल सिंह रावत, अनिल कुमार पन्त, प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, सुशील बुड़ाकोटी, बृजमोहन वेदवाल, जगदीश ढौंडियाल, भुम्याळ विकास मंच के अध्यक्ष दयाल सिंह नेगी, उमेश चन्द्र बन्दूणी, चन्दन प्रेमी, जबर सिंह कैंतुरा, प्रदीप रावत खुदेड़, डॉ सतीश कालेश्वरी, कुसुम बिष्ट, दि हाई हिलर्स के कृपाल सिंह रावत, सुरेश नौटियाल, हरि सेमवाल, दिनेश बिजल्वाण, सुनील नेगी, गिरधारी रावत, दीनदयाल बन्दूणी, सुरेशानन्द बसलियाल, प्रेमा धोनी, निर्मला नेगी, डॉ कुसुम भट्ट, ओम प्रकाश मैठाणी,  मुकेश सुन्द्रियाल, जबर सिंह कैंतुरा, रमेश हितैषी, प्रदीप वेदवाल, ओम प्रकाश आर्य, रमेश सोनी, भाष्करानन्द कुकरेती, वीरेन्द्र जुयाल उप्रि, द्वारिका प्रसाद चमोली, दीवान सिंह नेगी, युगराज सिंह, गोविन्द राम साथी, मीना कांडपाल, रेमश चन्द्र, उदयराम मंमगांई राठी, नीरज बवाडी, कल्याण सिंह रावत, वीरेन्द्र सिंह रावत, राकेश धस्माणा और इसके अलावा पहाड़ी फ्रेश फूड चेन का संयोजक मुरलीधर ढौंडियाल, जितेन्द्र रावत व ललित केशवान जी के परिजनों में धर्मपत्नी प्रेमलता केशवान, बृजमोहन केशवान, पंकज केशवान तथा उनके परिजनों सहित कई गण्यमान्य लोग उपस्थित थे।

ललित केशवान की मुख्य कृतियों में गढ़वाली भाषा में प्रकाशित पुस्तकों में प्रमख हैं खिल्दा फूल हंसदा पात- गढवाली कविता संग्रह, हरि हिण्डवाण-ऐतिहासिक गढ़वाळी नाटक हिन्दी में भी, दिख्यां दिन तप्यां घाम-गढ़वाळी कविता संग्रह, सब मिलीक रौंला हम- गढ़वाळी बाल कविता संग्रह, दीवा ह्वैजा दैणी-गढ़वाळी गढवाली खण्ड काव्य, जै बदरी नारैण- पांच गढवाली नाटक संग्रह, गंगू रमाला-पौराणिक गढ़वाळी एकांकी सग्रह, जब गरदिस मा गरदिस ऐन-गढ़वाळी कविता सग्रह मुख्य है। एक गढ़वाळी कहानि संग्रै अज्यों छपेणां खातिर तैयार हैं। तथा हिन्दी में प्रकाशित मुख्य पुस्तकों में मेरा देश- हिन्दी कविता संग्रह, सबको गले लगाते फूल – हिन्दी बात कविता संग्रह, छोटी सी गुड़िया थी- हिन्दी बाल कविता संग्रह, अंधेरों के साये में – हिन्दी उपन्यास, हाथी दादा की चौपाल – हिन्दी बाल कहानी संग्रह, हमारी एकता जिन्दावाद- हिन्दी बाल कहानी संग्रह, उड़नतश्तरी – हिन्दी बाल कहानी संग्रह आदि मुख्य पुस्तकें है।

ललिक केशवान को प्राप्त साहित्य सम्मान व पुरस्कारों में निम्नलिखित सम्मान वर पुरस्कार प्रमुख हैं।

  1. गढवाली साहित्य परिषद कानपुर द्वारा पं. आदित्यराम नवानी साहित्य सम्मान- 1984,
  2. हिन्दी अकादमी सबको गले लगाते हिन्दी बाल कविता संग्रह पर सम्मान- 1987,
  3. गढवाली ऐतिहासिक नाटक हरि हिण्डवाण के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल अनुशंसा पुरस्कार 1989,
  4. उत्तराखण्ड विचार मंच मुम्बई द्वारा अर्जुनसिंह गुसांई स्मृति साहित्य सम्मान – 2010,
  5. अखिल भारतीय उत्तराखण्ड महासभा द्वारा उत्तराखण्ड गौरव सम्मान7 2011,
  6. म्यर पहाड़ संस्था द्वारा सम्मान- 2011,
  7. अखिल गढ़वाल सभा देहरादून द्वारा गढविभूति सम्मान – 2011,
  8. उत्तराखण्ड लोकभाषा साहित्य मंच द्वारा महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल साहित्य सम्मान- 2012,
  9. महेश्वरी देवी कुलानन्द बुड़ाकोटी स्मृति न्यास द्वारा महेश्वरी देवी कुलानन्द बुड़ाकोटी स्मृति साहित्य सम्मान – 2015,
  10. गढवाल अध्ययन प्रतिष्ठान द्वारा साहित्य सम्मान- 2023 तथा डॉ पीताम्बर दत्त बडथ्वाल साहित्य सम्मान- 2023 आदि प्रमुख हैं।

ललित केकेशवान  का साहित्य संसार को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप ने अपने संबोधन में कहा कि ललित केशवान जी को भारत सरकार का पद्मसम्मान से सम्मानित करना चाहिए। सभी उपस्थित लोगों ने धीरेन्द्र प्रताप की बात का समर्थन किया और एक स्वर में कहा कि ललित केशवान का साहित्य संसार को ध्यान में रखते हुए सरकार को इस पर ध्यान देना होगा खासकर केशवान जी का गढ़वाली और हिंदी में बाल साहित्य उत्कृष्ट और अतुलनीय है।  इसलिए उन्हें सरकार पद्मसम्मान से सम्मानित करे।

कुल मिलाकर आज का यहाँ आयोजन अपने आप में ऐतिहासिक रहा।  ललित केशवान जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें। कार्यक्रम का संचालन उत्तराखण्ड लोक -भाषा  साहित्य मंच दिल्ली के संयोजक दिनेश  ध्यानी ने किया।उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली इस आयोजन हेतु बधाई का पात्र है। आशा है आने वाले दिनों में भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे जिससे समाज का हर वर्ग अपने सरोकारों से जुड़ा रहेगा और खासकर नई पीढ़ी को अपने समाज, साहित्य, संस्कृति को समझने का मौका मिलता रहेगा।