जसमायरा

देहरादून: छोटी सी उम्र में पहाड़ की बेटी ने स्वर्ण पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड और देश का नाम रौशन किया है. श्रीलंका मे चल रहे 14वें एशियन स्कूल चेस टूर्नामेंट में देहरादून की जसमायरा गुंबर ने अंडर 9 गर्ल्स केटेगरी की टीम स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतकर उत्तराखण्ड एवं देश का मान बढ़ाया है।

श्रीलंका में 7 से 15 जुलाई तक आयोजित हुई एशियन स्कूल चेस चैंपियनशिप में भारत की ओर से कुल 38 खिलाड़ियों ने अंडर-7 से लेकर अंडर-17 आयु वर्ग में प्रतिभाग किया। जसमायरा ने अंडर-9 आयु वर्ग में सात राउंड के मुकाबलों में 4.5 अंक के साथ शीर्ष पर रहते हुए स्वर्ण पदक जीता।  इस छोटी सी बिटिया ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला पदक स्वर्ण जीतकर उत्तराखंड के साथ साथ देश का नाम रोशन किया है। जसमायरा ने एशियन स्कूल चैस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर यह उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी कामयाबी हासिल की है।

देहरादून की जसमायरा कान्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल में कक्षा चार की छात्रा है। 2017 में ऑल इंडिया चैस फेडरेशन की ओर से आयोजित नेशनल चेस चैंपियनशिप में उस ने नॉर्थ इंडिया रीजन में टॉप किया था। इसी के आधार पर उसका चयन एशियन स्कूल चेस टूर्नामेंट के लिए किया गया। वर्तमान में जसमायरा की 1023वीं इंटरनेशनल रेटिंग हैं। वहीं अपने आयु वर्ग में देश के शीर्ष 30 खिलाड़ियों में शामिल हैं।

जसमायरा को शतरंज सीखते हुए मात्र तीन वर्ष का समय हुआ है। उसके पिता सौरभ गुंबर ने बताया कि उसको पहली बार गर्मियों की छुट्टियों में दून क्लब में चल रहे समर कैंप में शतरंज सीखने भेजा था। और अब वह पिछले तीन साल से स्टेट चैंपियन है। जसमायरा पढ़ाई में भी हमेशा टॉप रहती है, वह ग्रैंडमास्टर बनाना चाहती है। इससे पहले भी जसमायरा कई बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग कर चुकी हैं। सौरभ गुंबर कहा की उन्हें अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है।