शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
गूगल की यही खासियत है चाहे हम किसी भी महान शख्सियत को भुला दें लेकिन यह सोशल साइट उसे याद करना नहीं भूलती है। आज 18 जुलाई है। इस तारीख को भारत की एक महान बेटी का जन्मदिन भी पड़ता है। लोगों को इनके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं होगा लेकिन आज सुबह गूगल ने देश की ग्रेट वूमेन (महान महिला) के 160वें जन्मदिवस पर का ‘डूडल’ बनाकर याद किया है। आज रविवार को हम एक ऐसी महिला की बात करेंगे जिन्होंने विषम परिस्थितियों से लड़ते हुए अपने लक्ष्य को हासिल किया। जी हां हम बात कर रहे हैं देश की पहली ‘महिला चिकित्सक’ कादंबिनी गांगुली की। यहां हम आपको बता दें कि कदंबिनी गांगुली का जन्म 18 जुलाई, 1861 को भागलपुर बिहार में हुआ था। गांगुली महिला मुक्ति के लिए मुखर कार्यकर्ता, डॉक्टर और स्वतंत्रता सेनानी थीं। उनके पिता बृजकिशोर बसु भारत के पहले महिला अधिकार संगठन के सह संस्थापक थे। उस दौरान देश में लड़कियों की पढ़ने के लिए माहौल अनुकूल नहीं था। कादंबिनी की पढ़ाई के प्रति लगन ही उन्हें स्कूल ले गई। गांगुली ने 1886 में ग्रेजुएट की उपाधि प्राप्त की, कादंबिनी ने भारतीय-शिक्षित डॉक्टर बनने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास रच दिया। इंग्लैंड मेंं काम करने और अध्ययन करने के बाद उन्होंने स्त्री रोग में विशेषज्ञता के साथ तीन अतिरिक्त डॉक्टरेट प्रमाणपत्र प्राप्त किए और अपनी निजी प्रैक्टिस खोलने के लिए भारत लौट आईं। गांगुली के जीवन पर आधारित 2020 की ‘प्रोथोमा कादंबिनी’ बॉयोग्राफी टेलीविजन सीरीज ने एक नई पीढ़ी को उनकी प्रेरणादायक कहानी बताकर उनकी विरासत को फिर से जीवंत कर दिया। गौरतलब ह कि गांगुली भारत की पहली स्नातक और फिजीशियन महिला थीं। यही नहीं ‘उनको भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में सबसे पहले भाषण देने वाली महिला का गौरव भी प्राप्त है’। कादंबिनी गांगुली पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की खराब स्थिति पर भी कार्य किया था। कादंबिनी, बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से बहुत प्रभावित थीं, बंकिमचन्द्र की रचनाओं से ही उनमें देशभक्ति की भावना जाग्रत हुई थी। डॉक्टर और सोशल एक्टिविस्ट का रोल एक साथ निभाना उनके लिए भी आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनका विवाह ब्रह्म समाज के नेता द्वारकानाथ गंगोपाध्याय से हुआ था। द्वारकानाथ महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए पहले से ही प्रयत्नशील थे। इसके लिए कादंबिनी ने पति का पूरा सहयोग किया। उन्होंने बालिकाओं के विद्यालय में गृह उद्योग स्थापित किया था। कांग्रेस के 1889 के मद्रास अधिवेशन में उन्होंने भाग लिया और भाषण दिया। संस्था के उस समय तक के इतिहास में भाषण देने वाली कादंबिनी गांगुली पहली महिला थीं। 1906 में कोलकाता कांग्रेस के अवसर पर आयोजित महिला सम्मेलन की अध्यक्षता भी उन्होंने ही की थी। 3 अक्टूबर 1923 को (कलकत्ता) कोलकाता में उनकी मृत्यु हो गई। कादंबिनी भारत की उन चुनिंदा महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने उस दौर में कठिन परिस्थितियों से लड़ते हुए लड़कियों और महिलाओं के लिए राहें आसान की। आज भी महिला चिकित्सकों के लिए कादंबिनी गांगुली ‘रोल मॉडल’ हैं।
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