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राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सँयुक्त मोर्चा ने अवगत कराया कि पुरानी पेंशन/पारिवारिक पेंशन बहाली की मांग पर सरकार का एकमात्र जवाब होता है कि इससे सरकार को बहुत ज्यादा आर्थिक भार आएगा जो कि पूरा सच नहीं है। बल्कि इससे उलट नेशनल पेंशन स्कीम लागू रखने से सरकार पर बहुत ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ रहा है। सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार को कर्मचारी के 10% के बराबर सरकारी स्कीम के अंतर्गत अंश प्रत्येक माह नेशनल पेंशन स्कीम(एनपीएस)के अंतर्गत जमा करना अनिवार्य होता है। जो अब बढ़कर 14% हो गया है। कुछ राज्य सरकारें इस बोझ को नियमित नहीं उठा पा रही हैं और कर्मचारी के आलोचना का केंद्र बन रही है। क्योंकि कर्मचारी को इसके ब्याज के रूप में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है इससे उभरने का केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पास एकमात्र उपाय है कि पुरानी पेंशन/ पारिवारिक पेंशन बहाल कर दी जाए।

मोर्चा के पदाधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत सरकार 50% वापस लेकर सरकारी खजाने में जमा करें। और 50% कर्मचारियों को जमा राशि जीपीएफ खाता खोलकर उस में जमा कर दें। हर आर्थिक विशेषज्ञ विश्वास पूर्वक यह कह सकता है कि नेशनल पेंशन स्कीम में जमा कर्मचारी को राशि का 50% सरकारी खजाने में वापस जमा होने से सरकार की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा सुदृढ़ हो जाएगी। बल्कि कई वर्षों के बजट की भी चिंता दूर हो जाएगी। नेशनल पेंशन स्कीम में जमा कर्मचारी के हिस्से की 50% राशि जीपीएफ खाते में जमा किए जाने पर उस राशि को भी लंबे समय तक खर्च करने का सरकार का अधिकार मिल जाएगा। ऐसा करने से कर्मचारी के जीवन में सुरक्षित भविष्य का भाव आएगा और वह शासन की नीतियों का पूरी क्षमता से क्रियान्वयन करने के लिए प्रोत्साहित होगा। वर्तमान में अंधकारमयी भविष्य को स्पष्ट देख रहा।

मोर्चा के पदाधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में शेयर बाजार आधारित नेशनल पेंशन स्कीम जिसके बारे में अभी से आकांक्षा व्यक्त की जा रही है कि वह देश का सबसे बड़ा महा घोटाला भविष्य में सिद्ध हो सकता है। पुरानी पेंशन पारिवारिक पेंशन बहाली की मांग करने पर कुछ राजनेता इसे देश से जोड़ देते और कुतर्क करते हैं कि पुरानी पेंशन पारिवारिक पेंशन बहाली देश हित में नहीं है। सबसे पहले तो इस बात को समझना होगा कि लगभग 60,00,000 से अधिक केंद्रीय और राज्य शासन के कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं। वह इसी देश के सम्मानित नागरिक हैं और सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों के क्रियान्वयन के लिए ही उनकी नियुक्ति होती है। कर्मचारी सरकार की नीतियों के क्रियान्वयन के लिए अपना सारा जीवन खफा देता है। सेवानिवृत्त उपरांत सरकार कर्मचारी के संवैधानिक अधिकार पुरानी पेंशन का अधिकार प्रदान कर देती है तो कर्मचारी के जीवन में खुशहाली आएगी। वह अपने बुढ़ापे का जीवन जीने के लिए आत्मनिर्भरतो के साथ साथ अपने पारिवारिक उत्तरदायित्व का भी निर्वहन बेहतर तरीके से करने में सक्षम हो पाएगा। स्वाभाविक है कर्मचारी खुश होगा तो देश में भी खुशहाली आएगी। कहने का आशय कर्मचारी को पुरानी पेंशन बहाली विशुद्ध देशहित में है। इसे तत्काल लागू किया जाना चाहिए।

मोर्चा के पदाधिकारियों का कहना है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा तात्कालिक सरकार को अपने हित साधने के लिए आंकड़ों की कालाबाजारी दिखाकर पुरानी पेंशन, पारिवारिक पेंशन बंद कर नेशनल पेंशन स्कीम लागू करने के लिए बाध्य किया गया था। पुरानी पेंशन करने से सरकार का अंग होते हुए भी सरकारी कर्मचारी सरकार के बीच अविश्वास की खाई बन गई है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा षड्यंत्र रच कर जिस पाश्चात्य उपभोक्ता संस्कृति यूज एंड थ्रो को जन्म दिया गया था वह बिल्कुल भी देश हित में नहीं है। देश हित में वही होता है जो देशवासियों के हित में होता है। लगभग 60 लाख से अधिक पुरानी पेंशन विहीन कर्मचारी और उनका  वंचित परिवार जिनकी संख्या लगभग तीन करोड़ के आसपास ठहरती है के हित में कर्मचारी स्वयं पुरानी पेंशन की मांग से माननीय राजनेताओं को भूतकाल में की गई बड़ी गलती को सुधारने का उचित अवसर मिल रहा है। इस गलती को सुधारने के अवसर को सरकार को इक्का-दुक्का व्यक्तियों की जिद के आगे गवाना नहीं चाहिए।

पुरानी पेंशन बहाली की मांग को पुरजोर तरीके से राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सँयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत के नेतृत्व में पूरे देश के लाखों कार्मिक आवाज उठा रहे है। कार्यक्रमों के क्रम में मानसून सत्र में पुरानी पेंशन बहाली मुद्दे पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के लिए वर्तमान केंद्र सरकार से ट्विटर अभियान के माध्यम से 1 अगस्त 2021 को पुरानी पेंशन बहाली की मांग रखी जाएगी। जिसमे देश के प्रधानमंत्री और सभी केंद्रीय मंत्री एवं सांसद और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को टैग करके हेज टैग #MonsoonSassion_RestoreOPS  के माध्यम से पुरानी पेंशन बहाली की आवाज सदन तक पहुंचाई जाएगी  जिसमे देश के 60 लाख से भी अधिक सभी एनपीएस कार्मिक सहयोग करेगे।

राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी सिंह रावत ने कहा है कि अभी कोरोना संकट होने के कारण सड़कों पर उतरना देश हित में ठीक नही है। केंद्र सरकार एनपीएस कार्मिकों के हित में कोई बड़ा फैसला नही लेती है तो  जैसे ही कोरोना संकट से स्थिति ठीक होती है तो राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सयुक्त मोर्चा के द्धारा संसद मार्च किया जाएगा। देशव्यापी बड़े आंदोलन किए जायेगे, मात्र एक दिन के कार्यकाल में विधायक, सांसद को पुरानी पेंशन और एनपीएस कार्मिक देश सेवा में 35 वर्ष अग्रणी भूमिका में योगदान देता है उसको एनपीएस बाजार आधारित पेंशन ये कैसा न्याय है। पुरानी पेंशन बहाली मुद्दा देश के विकास से जुड़ा मुद्दा है। इसका लाभ सिर्फ कार्मिकों को ही नही बल्कि पुरानी पेंशन देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होगा। इस बात को वर्तमान केंद्र सरकार को समझना चाहिए।

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सयुक्त मोर्चा पुरानी पेंशन बहाली मांग को लेकर संघर्षरत हैं। सभी एनपीएस कार्मिक हर कार्यक्रम में सहयोग कर रहे हैं। पुरानी पेंशन बहाली मुद्दा सत्ता में बैठी हुई सरकार हो चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो सभी के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।

ट्विटर अभियान को सफल बनाने के लिए राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सँयुक्त मोर्चा की ऑनलाइन बेबीनार बैठक में सँगठन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी, प्रदेश अध्यक्ष(महिला मोर्चा) योगिता पंत, प्रदेश सयोंजक मिलेन्द्र बिष्ट, प्रदेश उपाध्यक्ष देवेन्द्र बिष्ट, प्रदेश सलाहकार डॉ. डीसी पसबोला, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुभाष देवलियाल, प्रदेश प्रेस सचिव डॉ. कमलेश मिश्रा, प्रदेश मीडिया प्रभारी लक्ष्मण रावत, गढ़वाल अध्यक्ष जयदीप रावत, गढ़वाल महासचिव नरेश भट्ट, गढ़वाल मंडल (महिला उपाध्यक्ष) रश्मि गौड़, अध्यक्ष (कुमाऊं मण्डल) कपिल पांडेय,, महासचिव कुमाऊं मण्डल सुबोध कांडपाल, महिला उपाध्यक्ष (कुमाऊँ मण्डल) रेनु डांगला आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की गयी। बैठक में प्रदेश आईटी सेल के प्रभारी के रूप में अवधेश सेमवाल को नियुक्त किया गया।