• गृह भ्रमण के दौरान गर्भवती और धात्री महिलाओं को दे रही अहम सलाह
  • नवजात, कुपोषित बच्चों और गर्भवती को प्राथमिकता
  • कोविड से बचाव के उपाय बताने, स्तनपान व पूरक आहार के लिए प्रोत्साहित करने के भी निर्देश

नोएडा : नवजात शिशु, अतिकुपोषित बच्चे (मैम-सैम) तथा गर्भवती महिलाओं में कोरोना काल में संक्रमण से प्रभावित होने की आशंका अधिक होती है, इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इनकी देखभाल की विशेष जिम्मेदारी सौंपी गयी है। कोविड के कारण जनपद में सभी आंगनबाड़ी केन्द्र बंद हैं और सभी गतिविधियां भी स्थगित हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शासन ने निर्देश पर घर-घर पुष्टाहार का वितरण कर रही हैं और गृह भ्रमण के दौरान सभी को कोविड प्रोटोकाल का पालन जैसे- मास्क का प्रयोग करने और समय-समय पर साबुन-पानी से हाथ धुलने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक डा. सारिका मोहन की ओर से प्रदेश के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को पत्र भेजकर घर-घर पुष्टाहार वितरण के दौरान कोविड प्रोटोकॉल के प्रति संवेदीकरण के निर्देश दिए गये हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दिलीप कुमार सिंह ने बताया कोविड के चलते आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं। ऐसे में शासन के निर्देशानुसार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अतिकुपोषित बच्चों को घर-घर जाकर पुष्टाहार का वितरण कर रही हैं। गृह भ्रमण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लाभा‌र्थियों को मास्क प्रयोग करने और हाथों की सफाई पर ध्यान देने के लिए भी प्रेरित कर रही हैं।

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया गृह भ्रमण के दौरान नवजात शिशु, अति कुपोषित बच्चे (सैम/मैम) तथा पहले त्रैमास की गर्भवती/धात्री महिलाओं और छह माह की आयु पूरी कर चुके शिशुओं को उच्च प्राथमिकता पर रखने के निर्देश दिए गए हैं। अति कुपोषित बच्चों और गर्भवती को संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। समय से पुष्टाहार उपलब्ध कराकर इन्हें कोविड संक्रमण के खतरे से बचाए रखना आवश्यक है। इसलिए दलिया, तेल, दलिया और फोर्टिफाइड चावल घर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही कोविड से बचाव के लिए घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करने और नियमित रूप से हाथों की सफाई करते रहने की सलाह दी जा रही है। गृह भ्रमण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और लाभार्थियों को भी इसके लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए हैं।

उन्होंने बताया – गर्भवती/धात्री महिलाओं और बच्चों में कोविड के लक्षण दिखने पर तुरंत स्वास्थ्य विभाग को जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं। गृह भ्रमण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनुपूरक पोषाहार उपलब्ध कराने के साथ परामर्श सेवाओं के अलावा वृद्धि निगरानी और आयरन की गोलियों का वितरण भी कर रही हैं। छह माह‌ की आयु पूरी कर चुके बच्चों को स्तनपान के साथ-साथ पूरक आहार देने के लिए प्रेरित करने और अनुपूरक पोषाहार बनाने की विधि और समुचित मात्रा बताने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ यह भी बताना है कि मां को खांसी या कोविड संक्रमण के लक्षण होने पर भी बच्चे को स्तनपान कराना जारी रखा जाए। स्तनपान कराने से पहले मां अपने हाथों को अच्छी तरह से साबुन-पानी से धोने के बाद मास्क लगाकर स्तनपान कराएं। यदि मां स्तनपान कराने की स्थिति में न हो तो कटोरी में मां का दूध निकालकर चम्मच की मदद से शिशु को दिया जाए।

मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है। कोविड काल में बच्चे की बेहतर प्रतिरोधक क्षमता के लिए स्तनपान और जरूरी हो जाता है। साथ ही ऊपर का दूध देने तथा दूध की बोतल का प्रयोग करने की मनाही है। यदि बच्चा लंबे समय से चिडचिड़ा है, मां का दूध नहीं पी रहा तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान पहले तिमाही की गर्भवती का एएनएम से पंजीकरण कराते हुए एमसीपी (मदर-चाइल्ड प्रोटेक्शन) कार्ड बनवाएं। गर्भवती/धात्री महिलाओं में कोविड के लक्षण होने पर तत्काल चिकित्सकीय परामर्श दिलाएं। साथ ही गर्भवती/धात्री को कम से कम 180 आयरन और 360 कैल्शियम की गोलियां खाने की सलाह अवश्य दें। इसके अलावा आहार  में पत्तेदार सब्जियां, नींबू, संतरा, गाजर, ज्वार- बाजरा, रागी, दूध आदि शामिल करें। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।