देश भर में उत्तराखंड के लोक पर्व उत्तरायणी-मकरैणी पर्व की धूम है। जगह-जगह उत्तरायणी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जहां कुमाऊंनी और गढ़वाली संस्कृति का संगम देखने को मिल रहा है। इस क्रम में शनिवार को दिल्ली के न्यू अशोक नगर स्थित कालीबाड़ी मंदिर प्रांगण में श्रीगुरु माणिक नाथ सर्वजन कल्याण समिति के तत्वावधान में भव्य उत्तरायणी-मकरैणी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें देर शाम तक उत्तराखंड से आए लोक गायकों के गीतों पर कड़ाके की ठंड के बीच भारी संख्या में कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने जमकर गीत-संगीत का लुत्फ उठाया। संक्रांति कार्यक्रम धार्मिक आस्था से जुड़ा होने के कारण नंदा देवी डोली यात्रा लोक गीत पर महिलाएँ खूब झूमी। उत्तराखंड का सांस्कृतिक कार्यक्रम उत्तरैणी मकरैणी दिल्ली एनसीआर में सबसे अधिक लगभग 100 अलग अलग स्थानों पर एक सप्ताह तक देखने को मिलता है।

न्यू अशोक नगर पूर्वी दिल्ली के कालीबाड़ी मंदिर के प्रांगण में आयोजित इस एक दिवसीय उत्तराखंडी सांस्कृतिक कार्यक्रम में पधारे अतिथियों का श्रीगुरु माणिक नाथ सर्वजन कल्याण समिति के अध्यक्ष, पदाधिकारियों एवं कार्यक्रर्ताओं ने अभिनंदन करते हुए स्वागत कर सभी को मकर सक्रांति की बधाई एवं शुभकामनाएं दी और कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथियों,समाज से जुड़े प्रबुद्धजनों और कलाकारों का फूल-माला पहनाकर उनका स्वागत किया। जिसके बाद रंगारंग कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

अतिथि के रूप में कार्यक्रम में पहुँची सुप्रसिद्ध स्वर कोकिला कल्पना चौहान एवम् प्रसिद्ध संगीतकार राजेंद्र चौहान ने भी दर्शकों के निवेदन करने पर फ़्वाँ बागा रे के गीत पर दर्शकों का जीत लिया।

इस मौके पर कार्यक्रम में उपस्थिति श्रीगुरु माणिक नाथ सर्वजन कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह भंडारी ने कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य लोगों का अभिनंदन करते हुए उत्तरायणी-मकरैणी की शुकामनायें देते हुए कहा कि आज का दिन हम सब के लिए बहुत ही खुशी का है कि हम एक साथ एक मंच पर आकर अपने लोक पर्व उत्तरायणी-मकरैणी को मना रहे है। उन्होंने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति में सूर्य को आँखों से दिखायी देने वाले प्रत्यक्ष देवता की संज्ञा दी गयी है। पृथ्वी पर उपस्थित समस्त जीव-जगत को जितनी गहराई से सूर्यदेव जीवन प्रभावित करते हैं,दूसरा कोई अन्य तत्व नहीं। मकर संक्रांति भारतीय लोकजीवन का सर्वाधिक बहुरंगी पर्व है। जिसमें हमारे भारत के सांस्कृतिक सौन्दर्य की मनमोहक छटा देखते ही बनती हैं, वही छटा आज इस प्रांगण में दिख रही है। इसके लिए मैं आप सभी का कोटि-कोटि आभार व्यक्त करता हूं।

श्रीगुरु माणिक नाथ सर्वजन कल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित उत्तरायणी-मकरैणी कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर शामिल हुए दिल्ली मयूर विहार भाजपा जिलाध्यक्ष एंव प्रसिद्ध समाजसेवी डा. विनोद बछेती ने कार्यक्रम में उपस्तिथ लोगों को मकर संक्रांति, उत्तरायणी पर्व और घुघुतिया की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह त्यौहार जीवन में सकारात्मक सोच के साथ सदैव कर्म के पथ पर आगे बढ़ने की भी प्रेरणा देता है। यह पावन पर्व माँगलिक कार्यों के शुभारम्भ से भी जुड़ा है। मैं इस लोक पर्व के मौके पर भगवान सूर्य से प्रार्थना करता हूं कि यह पर्व हम सबके जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करे। इस मौके पर डॉ. विनोद बछेती ने नृत्य करने वाले बच्चो प्रोत्साहन दिया तथा समस्त आयोजक टीम एवम् दर्शकों को शुभकामनाँए दी।

कार्यक्रम में उपस्थित समिति के महासचिव महावीर पवार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरीश असवाल, उपाध्यक्ष बालम सिंह बिष्ट, कोषाध्यक्ष विजय राम भट्ट, उप कोषाध्यक्ष हनुमंत सिंह बिष्ट, सचिव मामराज सिंह रावत, संगठन सचिव दिगपाल सिंह कैंतुरा और सांस्कृतिक सचिव मंगल सिंह नेगी ने सभी अतिथियों का एवं उपस्थित उत्तराखंड समाज के लोगों का इस भव्य आयोजन में शामिल होने और उत्तराखंड की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हृदय से आभार व्यक्त करते हुए सभी को उत्तरायणी-मकरैणी की शुकामनायें एवं बधाई दी।

इस मौक पर गढ़वाल भ्रात मण्डल के अध्यक्ष अशोक जोशी, उत्तराखंड प्रकोष्ठ प्रदेश संयोजक हरेंद्र सिंह डोलिया, सह संयोजक सुरेश पोखरियाल, जिला संयोजक दयाल सिंह नेगी, जिला सह सयोजक नरेन्द्र सिंह कंडारी, पाण्डव नगर निगम पार्षद यशपाल कैंतुरा, विनोद नगर निगम पार्षद रवीन्द्र नेगी, न्यू अशोक नगर निगम पार्षद संजीव सिंह, कार्यकारणी सदस्य दिल्ली प्रदेश प्रभारी उत्तराखण्ड प्रकोष्ठ अर्जुन सिंह राणा, राष्ट्रीय सचिव (INC) हरपाल रावत, लोक गायिका कल्पना चौहान एंव संगीतकार राजेंद्र चौहान भी कार्यक्रम में उपस्थि थे।

मकर संक्रान्ति अब 15 जनवरी को क्यों हो रही है ?

  • वर्ष 2008 से 2080 तक मकर संक्राति 15 जनवरी को होगी।
  • विगत 72 वर्षों से (1935 से) प्रति वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पड़ती रही है।
  • 2081 से आगे 72 वर्षों तक अर्थात 2153 तक यह 16 जनवरी को रहेगी।

ज्ञातव्य रहे, कि सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश (संक्रमण) का दिन मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है। इस दिवस से, मिथुन राशि तक में सूर्य के बने रहने पर सूर्य उत्तरायण का तथा कर्क से धनु राशि तक में सूर्य के बने रहने पर इसे दक्षिणायन का माना जाता है।

सूर्य का धनु से मकर राशि में संक्रमण प्रति वर्ष लगभग 20 मिनिट विलम्ब से होता है। स्थूल गणना के आधार पर तीन वर्षों में यह अंतर एक घंटे का तथा 72 वर्षो में पूरे 24 घंटे का हो जाता है। यही कारण है कि अंग्रेजी तारीखों के मान से मकर-संक्रांति का पर्व 72 वषों के अंतराल के बाद एक तारीख आगे बढ़ता रहता है।