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गौचर: देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक एवं प्राचीनतम गौचर मेले का आगाज हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को 7 दिवसीय 68वें राज्यस्तरीय औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक गौचर मेले का शुभारंभ किया। 1943 में शुरू हुआ ऐतिहासिक गौचर मेला भारत के प्राचीनतम मेलों में से एक है। उस समय यह मेला भारत तिब्बत व्यापार का माध्यम था। भारत-तिब्बत और चीन के बीच व्यापार को बढ़ावा देने कि लिए इसका आयोजन किया जाता था। पहले इस मेले की तिथि निर्धारित नहीं थी, परन्तु आजादी के बाद से इस मेले को हमेशा देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस 14 नवम्बर को ही मनाया जाता है। इस वर्ष राज्य में निकाय चुनावों के चलते यह मेला करीब 9 दिन बाद शुरू किया गया। इस ऐतिहासिक मेले में मनोरंजन, संस्कृति के आधार पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए हर साल पर्यटन विभाग, उत्तराखंड द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।gauchar-mela

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रथम विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित दरवान सिंह नेगी एवं देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के चित्रों पर माल्यर्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने करीब 106 करोड़ की विभिन्न विकास योजनाओं का लोकापर्ण एवं शिलान्यास कर क्षेत्र को बडी सौगात दी। इसमें 11 विभागों की 45 विभिन्न विकास योजनाएं शामिल है।

इनमे लोनिवि के जंगल चट्टी-खेती-सिराणा मो0 मार्ग लागत 599.87 लाख, बूंगा-कैलपुडी स्टेज-2 मो0 मार्ग लागत 492.32, रैस-भटियांणा मो0 मार्ग के किमी 20 पर स्टील गार्डर सेतु लागत 165.01, नन्दप्रयाग-घाट किमी 11 से गंडासू मो0मार्ग स्टेज-1 लागत 356.02, श्रीकोट-मथकोट मो0 मार्ग स्टेज-2 लागत 648.23 लाख, उज्जवपुर-समे-धारकोट मो0 मार्ग स्टेज-2 लागत 378.13 लाख, परेड गांव से पेरी मो0 मार्ग स्टेज-1 लागत 1293.52 लाख सहित करीब 45 विकास योजनाएं शामिल है।

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