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देहरादून: वरिष्ठ पत्रकार, प्रख्यात चिंतक, प्रखर वक्ता, जन आंदालनकारी, और उत्तराखण्ड राज्य राज्य आंदोलन के मजबूत सिपाही डा. शमशेर सिंह बिष्ट का शनिवार को अल्मोड़ा स्थित आवास में निधन हो गया। करीब 71 वर्षीय डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट ने शनिवार तड़के अल्मोड़ा में अंतिम सांस ली। वे पिछले काफी समय से मधुमेह रोग से पीड़ित थे जिसके चलते उनको किडनी और गुर्दों की समस्या हो गई थी। दिल्ली के एम्स में लंबे समय से उपचार चल रहा था।

डा.बिष्ट नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन में कई दिनों तक जेल भी रहे थे। इसके अलावा कई बड़े आंदोलनों में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था। भू-माफियाओं के खिलाफ भी उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी थी। वह सर्वदलीय संघर्ष समिति से भी जुड़े। आज सुबह 11 बजे उनकी शव यात्रा उनके निवास से निकली। शव यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। विनाथ घाट में जन संगठनों से जुड़े लोगों ने जन कवि स्व. गिरदा के जनगीत गाकर बिष्ट को अंतिम श्रद्धांजलि दी। ‘हम लड़तै रया दाज्यू, हम लड़तै रूलौ’ जैसे जन गीत गाए गए। पार्थिव शव को बड़े पुत्र जयमित्र बिष्ट ने मुखाग्नि दी।

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा,जिलाधिकारी नितिन भदौरिया,उलोवा के केंद्रीय अयक्ष पीसी तिवारी, नैनीताल समाचार के संपादक राजीव लोचन साह, पूरन चंद्र तिवारी, दयाकृष्ण कांडपाल, विधानसभा उपाध्यक्ष व विधायक गो¨वद सिंह कुंजवाल, निवर्तमान पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, पूर्व विधायक मनोज तिवारी, भाजपा जिलाध्यक्ष गोविंद पिलख्वाल, विनोद वैष्णव बिन्नी, मंगल सिंह बिष्ट, महेश परिहार आदि मौजूद थे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अल्मोड़ा निवासी उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति व शोक संतप्त परिवारजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट सामाजिक सरोकारों व पर्यावरणीय चेतना से जुडे रहे। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में सक्रिय रहने के साथ ही वनों एवं नदियों को बचाने के लिये वे संघर्षरत रहे। 1974 की अस्कोट-आराकोट यात्रा के बाद वे सभी प्रलोभनों को ठुकराकर पूरी तरह उत्तराखण्ड की सेवा में लग गये थे।

डा.बिष्ट के निधन पर कल दोपहर दो बजे अल्मोड़ा के  पालिका सभागार में सार्वजनिक शोक सभा का आयोजन होगा।