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देहरादून : लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड वापस लौटे प्रवासियों को प्रदेश सरकार स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। जो प्रवासी महानगरों से अपने गांव लौटे हैं और काम की तलाश में हैं उनके लिए बागेश्वर के चंद्रशेखर पाण्डेय एक मिसाल है। जिले के गरुड़ तहसील के चैरसों गांव निवासी चंद्रशेखर पांडे दो दशक पहले नौकरी की के लिए परिवार के साथ मुंबई चले गए थे। लेकिन पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन का उन पर ऐसा असर हुआ कि वह 22 साल बाद परिवार सहित मुंबई से वापस अपने गांव लौट आए। यहां उन्होंने खेती और बागवानी शुरू की। शुरुआत में कुछ संघर्ष के बाद धीरे-धीरे उनकी आमदनी बढ़ने लगी। चंद्र शेखर पांडे ने अपनी मेहनत से बंजर खेतों को भी उपजाऊ बना दिया। उन्होंने चाय, दाल, सब्जी, फल और कई तरह की फसलें उगाई हैं। आज उनकी कमाई लाखों में है। अब चंद्रशेखर पाण्डेय ने परंपरागत खेती से हटकर तुलसी का उत्पादन करना शुरू किया। और क्षेत्र के किसानों को भी इसके लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा  पांडे अपने खेतों में बेमौसमी सब्जी, तेजपात, रीठा, आंवला, सिट्रस प्रजाति के माल्टा, नारंगी आदि का भी उत्पादन कर रहे हैं। काश्तकार पांडेय ने जड़ी-बूटी के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उन्होंने जड़ी-बूटी शोध केंद्र गोपेश्वर की मदद से तुलसी व अन्य जड़ी बूटियों को मिलाकर विशेष आयुर्वेदिक चाय तैयार की है। उन्हें कम समय में कृषि में वैज्ञानिक तकनीक और नये प्रयोग करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने तकनीक की सहायता से काश्तकारी को अलग पहचान दिलाई है। चंद्रशेखर पांडेय को इस साल जनवरी में जड़ी-बूटी के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा उत्कृष्ट कृषक सम्मान से नवाजा गया है।

चंद्रशेखर बताते हैं कि उन्होंने बहुत छोटे लेविल से खेती शुरू करी है। शुरुआत में उन्हें करीब 50 हजार सालाना मिल पाता था। दूसरे साल उनका टर्नओवर करीब डेढ़ से 2 लाख के आसपास हुआ। और अभी जब से उन्होंने तुलसी उत्पादन शुरु किया है तब से उनका टर्नओवर करीब तीन से चार लाख का हो गया है। और उन्हें उम्मीद है कि अभी यह पांच लाख से ऊपर जाएगा। कोरोना संकट काल में हजारों प्रवासी युवा अपने-अपने गाँव लौटे हैं। उनके लिए चंद्र शेखर पाण्डेय स्वरोजगार के जगाई गई अलख प्रेरणादायक सिद्ध हो सकती है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बागेश्वर के चंद्र शेखर पाण्डेय की प्रसंशा करते हुए अपने फेसबुक पेज लिखा कि स्वरोजगार को अपनाकर गरुड़, बागेश्वर के चंद्रशेखर पांडेय बने मिसाल। मुंबई से नौकरी छोड़कर अपनी माटी में लौटे पांडेय ने न केवल स्वरोजगार को अपनाया बल्कि स्थानीय लोगों को भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया। निश्चितरूप से इस प्रकार की मेहनत और लगन ही प्रदेश को खुशहाल बनाने में मदद करेगी। स्वरोजगार को अपनाएं, प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाएं।

स्वरोजगार को अपनाकर गरुड़, बागेश्वर के श्री चंद्रशेखर पांडेय जी बने मिसाल। मुंबई से नौकरी छोड़कर अपनी माटी में लौटे पांडेय जी ने न केवल स्वरोजगार को अपनाया बल्कि स्थानीय लोगों को भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया। निश्चितरूप से इस प्रकार की मेहनत और लगन ही प्रदेश को खुशहाल बनाने में मदद करेगी। स्वरोजगार को अपनाएं, प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाएं।

Posted by Trivendra Singh Rawat on Friday, 26 June 2020