नई दिल्ली: उत्तराखंडी प्रवासियों के लिए एक खास सौगात के रूप में गढ़वाली भाषा में बनी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘द्वी होला जब साथ’ अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदर्शित होने जा रही है। देहरादून में रिलीज़ के बाद चर्चाओं में रही यह फिल्म 16 मई से इंदिरापुरम स्थित जयपुरिया मॉल में दर्शकों के लिए उपलब्ध होगी। फिल्म का शो हर रोज शाम 4:30 बजे से शुरू होगा।
दीपविजन के बैनर तले निर्मित इस फिल्म ने अपनी बॉलीवुड-स्टाइल प्रस्तुति, सशक्त निर्देशन और भावनात्मक कहानी के चलते पहले ही उत्तराखंड में खूब सराहना बटोरी है। फिल्म का निर्देशन, लेखन और निर्माण रवि दीप ने किया है, जबकि गढ़वाली रूपांतरण शोभना रावत द्वारा किया गया है। अमित दीक्षित फिल्म के क्रिएटिव डायरेक्टर हैं।
फिल्म की कहानी और विषयवस्तु
‘द्वी होला जब साथ’—नाम से ही स्पष्ट है कि यह फिल्म एक साथ होने की भावना को केंद्र में रखती है। इसमें प्रेम, मित्रता और पारिवारिक रिश्तों की गहराई को मार्मिक रूप से दर्शाया गया है। साथ ही यह फिल्म समाज में आ रहे सकारात्मक बदलावों और नई सोच को भी उजागर करती है। फिल्म की कहानी एक भारतीय सैनिक के सर्वोच्च बलिदान के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति, परंपराएं, देशभक्ति, एक्शन, रोमांस और मनोरंजन का समुचित संगम देखने को मिलता है। गीत-संगीत और नृत्य इसकी अतिरिक्त विशेषताएँ हैं, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ती हैं।
कलाकार और तकनीकी टीम
फिल्म की मुख्य शूटिंग लोकेशन गाँव रौतु की बेली और आसपास के क्षेत्र रहे हैं। फिल्म के प्रमुख कलाकारों में मनीष डिमरी, कल्याणी गंगोला, अमित भट्ट, अंकिता परिहार, रमेश रावत, विमल उनियाल, सुषमा व्यास, रिया शर्मा, रोशन उपाध्याय और बाल कलाकार आरव बिजल्वान में शामिल हैं। फिल्म में संगीत दिया है अमित वी कपूर और वी कैश ने। जबकि छायांकन नीलेश बाबू, और संपादन दिव्य दीप महाजन ने किया है।
फिल्म को दिल्ली-एनसीआर में प्रदर्शित करने के बाद जल्द ही कोटद्वार, उत्तराखंड के अन्य शहरों, चंडीगढ़ और मुंबई में भी रिलीज़ किया जाएगा। यदि आप उत्तराखंडी हैं या लोकसंस्कृति से जुड़ी फिल्मों में रुचि रखते हैं, तो यह फिल्म ज़रूर देखनी चाहिए। यह न केवल मनोरंजन करेगी, बल्कि आपकी जड़ों से भी जोड़े रखेगी।
उत्तराखंडी समाज द्वारा गढ़वाली सिनेमा को मिल रहा उत्साहजनक समर्थन यह दर्शाता है कि प्रवास के बावजूद उनकी भाषा, संस्कृति और जड़ों से जुड़ाव कायम है।
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