सीफार के तत्वावधान में बाल सुरक्षा व संरक्षण पर वर्चुअल परिचर्चा आयोजित

लखनऊ : कोविड-19 ने हर किसी को किसी न किसी रूप से प्रभावित किया है। इन्हीं में शामिल हैं वह बच्चे भी जिनके माता-पिता दोनों या किसी एक को कोरोना ने हमेशा-हमेशा के लिए उनसे छीन लिया है। ऐसे में अनाथ हुए इन बच्चों की मदद को आगे आ रहे लोगों की मंशा बहुत साफ़ नहीं है, कोई उनकी संपत्ति हड़पने तो कोई उनको मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की फ़िराक में है। यह खुलासा जिला बाल कल्याण समिति की सदस्य संगीता शर्मा ने शुक्रवार को स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के तत्वावधान में बाल सुरक्षा व संरक्षण पर आयोजित वर्चुअल परिचर्चा के दौरान किया। परिचर्चा में उपस्थित महिला कल्याण विभाग के सलाहकार नीरज मिश्रा ने इन बच्चों की हरसंभव मदद को शुरू की गयी मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के बारे में विस्तार से बताया।

इस मौके पर संगीता शर्मा ने कहा कि राजधानी में कोरोना काल में अनाथ हुए करीब 127 बच्चों में से कुछ बच्चों की सही स्थिति का पता लगाने के लिए उनकी टीम मौके पर पहुंची तो पता चला कि बच्चे की परवरिश को लेकर ददिहाल और ननिहाल पक्ष के लोग एक दूसरे से भिड़ने पर आमादा थे। ऐसे में बच्चा पशोपेश में कि वह किसके पास जाए क्योंकि उसे इतनी समझ नहीं है कि उसका हित कहाँ पर ज्यादा सुरक्षित है। एक और उदाहरण देते हुए बताया कि एक परिवार ऐसा भी मिला जहाँ बड़ों में माता अकेली बची है और उसके चार बच्चे हैं, बड़ी बेटी 17 साल की है। उनकी मजबूरी को भांपते हुए कुछ लोग उस छोटी बेटी को नौकरी दिलाने का झांसा दे रहे हैं, जिससे साफ़ होता है कि नौकरी के बहाने वह उस बेटी को गलत हाथों में देने की मंशा से लालच दे रहे हैं। ऐसे लोगों से सतर्क रहने की जरूरत है। सभी का कर्तव्य बनता है कि हम भी अपने आस-पास अगर इस तरह के किसी बच्चे के बारे में जानते हैं तो उसकी सूचना बाल कल्याण समिति को चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नम्बर-1098 पर दें ताकि बच्चे को गलत हाथों में जाने से बचाया जा सके। जानकारी देने में कोई संकोच करने या डरने की बात नहीं है क्योंकि जानकारी देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाती है। मलिन बस्तियों के ऐसे बच्चों को तस्करी और उत्पीड़न से बचाना जरूरी है। बाल विवाह की स्थिति भी सामने आएगी, उससे भी सतर्क रहना है और किसी भी झूठी लालच में नहीं आना है।

इस मौके पर महिला कल्याण विभाग के सलाहकार नीरज मिश्रा ने कहा कि कोरोना काल (एक मार्च 2020 से) में जो बच्चे अनाथ हुए हैं, उनके लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुरू की गयी है। योजना की श्रेणी में आने वाले शून्य से 18 साल के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में 4000 रूपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। इसके साथ शर्त यह होगी कि औपचारिक शिक्षा के लिए बच्चे का पंजीयन किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया गया हो। जो बच्चे पूरी तरह अनाथ हो गए हों और बाल कल्याण समिति के आदेश से विभाग के तहत संचालित बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराये गए हों, उनको कक्षा छह से 12 तक की शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेशित कराया जाएगा। योजना के तहत चिन्हित बालिकाओं के शादी के योग्य होने पर शादी के लिए 1.01 लाख (एक लाख एक हजार रूपये) दिए जायेंगे। श्रेणी में आने वाले कक्षा-9 या इससे ऊपर की कक्षा में अथवा व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 साल तक के बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप की सुविधा दी जाएगी। ऐसे बच्चों की चल-अचल संपत्तियों की सुरक्षा के भी प्रबंध किये जायेंगे।

सीफार की नेशनल प्रोजेक्ट लीड रंजना द्विवेदी ने कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों और मुख्य वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि कोरोना ने बच्चों पर आर्थिक ही नहीं बल्कि सामजिक और मानसिक दबाव की भी स्थिति पैदा की है। इससे उन्हें उबारना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है, इसलिए ऐसे बच्चों की जानकारी हेल्पलाइन पर जरूर दें ताकि उनकी परवरिश को कानूनी तौर पर वैध बनाया जा सके, क्योंकि कोई भी बगैर बाल कल्याण समिति को जानकारी दिए परवरिश का वैध हकदार नहीं बन जाता, भले ही वह कितना भी करीबी क्यों न हो। वक्ताओं ने प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए।