नई दिल्ली : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से भेंट कर टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन की स्वीकृति वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 में करने का अनुरोध किया। इसके साथ ही रूड़की-देवबंद परियोजना के अवशेष कार्यों का वित्त पोषण भारत सरकार से किए जाने का भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से भेंट कर टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन की स्वीकृति वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 में करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने दिल्ली व हल्द्वानी के मध्य एक विशेष रेलगाड़ी व देहरादून से काठगोदाम के लिए सुबह के समय एक शताब्दी या जनशताब्दी गाड़ी प्रारम्भ करने के साथ ही रूड़की-देवबंद परियोजना के अवशेष कार्यों का वित्त पोषण रेल मंत्रालय भारत सरकार से किए जाने का भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि टनकपुर-बागेश्वर नई रेल लाईन एक महत्वपूर्ण प्रस्तावित रेल परियोजना है। वर्तमान में टनकपुर तक रेल लाईन स्थापित है। परंतु कुमायूं मण्डल के अन्य जनपद पिथौरागढ़, बागेश्वर पूर्ण रूप से पर्वतीय होने के कारण यहां आवागमन कठिन है। इस क्षेत्र के सामाजिक व आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तेज करने, पर्यटक स्थलों का विकास करने व स्थानीय संसाधनों के समुचित उपयोग करने के लिए टनकपुर-बागेश्वर रेल परियोजना अति आवश्यक है। राज्य की सीमाएं नेपाल व चीन से लगी होने के कारण इसका सामरिक महत्व भी है। मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री से टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन की स्वीकृति इसी वित्तीय वर्ष 2019-20 में किए जाने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केंद्रीय रेल मंत्री को अवगत कराया कि देहरादून व कुमायूं क्षेत्र जिसका अंतिम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है के मध्य वर्तमान में सुबह व दोपहर के समय कोई भी सीधी रेल सेवा नहीं है। देहरादून व कुमायूं के मध्य काफी संख्या में पर्यटकों व यात्रियों की आवाजाही रहती है। सुबह के समय कोई रेलगाड़ी न होने के कारण लोगों को शाम तक इंतजार करना पड़ता है। इसलिए जनता के हित में देहरादून से हल्द्वानी/काठगोदाम के मध्य सुबह 5 से 6 बजे के बीच एक शताब्दी या जनशताब्दी गाड़ी की सेवा तुरंत प्रारम्भ की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में दिल्ली से हल्द्वानी के मध्य रेलगाड़ियों की संख्या यात्रियों व पर्यटकों के दृष्टिगत काफी कम है। इसलिए दिल्ली व हल्द्वानी के मध्य एक विशेष रेलगाड़ी की सेवा प्रारम्भ की जाए तो इससे पर्यटकों को भी काफी सुविधा होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 में रेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा रूड़की-देवबंद परियोजना की लागत 791.39 करोड़ रूपए पुनर्निधारित की गई है। साथ ही इस रेल परियोजना की लागत का वहन रेल मंत्रालय व उत्तराखण्ड राज्य के मध्य 50:50 के अंशदान में किए जाने पर सहमति प्रदान की गई थी। रूड़की-देवबंद परियोजना की कुल लम्बाई 27.45 किमी है। इसके तहत उत्तर प्रदेश का लगभग 94 हेक्टेयर व उत्तराखण्ड का लगभग 70 हेक्टेयर क्षेत्र आ रहा है। वर्तमान में रेल मार्ग द्वारा देवबंद (सहारनपुर) से रूड़की (हरिद्वार) आने के लिए अनावश्यक रूप से लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है। प्रस्तावित रूड़की-देवबंद रेल लाईन के निर्माण से यात्रियों के समय की बचत होगी और यातायात सुगम होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में परियोजना की कुल लागत 791.39 करोड़ रूपए है। इसके सापेक्ष उत्तराखण्ड राज्य द्वारा 240 करोड़ रूपए का अंशदान परियोजना में किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय रेल मंत्री से अनुरोध किया कि राज्य के सीमित वित्तीय संसाधनों को देखते हुए रूड़की-देवबंद परियोजना में उत्तराखण्ड द्वारा वर्तमान तक दिए गए अंशदान को पर्याप्त मानते हुए प्रोजेक्ट के अवशेष कार्यों का वित पोषण रेल मंत्रालय भारत सरकार से करवाया जाए।
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