DHARI-DEVI-TEMPLE

श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखण्ड मे रूद्रप्रयाग एवं चमोली जनपद में हो रही लगातार बारिश के कारण अलकनंदा नदी का जल स्तर तेजी से बढ रहा है। जल स्तर बढ़ने के साथ नदी में किनारों को काटकर मलबा, गाद (सिल्ट) भी आ रही है। जिसके चलते श्रीनगर गढ़वाल में निर्मित 330 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजना के बांध में भारी मात्रा में गाद(सिल्ट) जमा हो गई है। बांध में भारी मात्रा में गाद जमा होने के चलते अब धारी देवी के नव निर्मित मंदिर पर भी खतरा उत्पन्न हो गया है। बांध में गाद जमा होने से अलकनन्दा नदी का तल ऊपर उठ गया है। कुछ दिनों पहले नदी का जलस्तर धारी देवी के नव निर्मित मंदिर के एक मीटर नीचे तक पहुंच गया था। अगर यही हाल रहा था कभी भी धारी देवी का नये मंदिर के अंदर पानी भरने की आशंका व्यक्त की जा रही है। ज्ञात हो कि श्रीनगर जल विद्युत परियोजना की अलकनंदा नदी में बनी झील के कारण वर्ष 2013 में डूब क्षेत्र में आ रहे मां धारी देवी मंदिर को लगभग 30 मीटर की ऊंचाई पर उसी स्थान पर उठाया गया है। श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की निर्माणदायी कंपनी अलकनंदा हाइड्रो पावर कारपोरेशन लिमिटेड की ओर से लगभग छह करोड़ की लागत से इस नए मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।

बता दें कि बांध बनाने वाली जीवीके कंपनी 2014 में विद्युत उत्पादन की स्थिति में आ गया थी, और तब से कंपनी ने बांध में आ रही रेत, गाद को साफ नहीं किया। परिणाम स्वरूप वर्तमान में कई फीट ऊपर तक बांध में सिल्ट जमा हो गयी है। सोमवार को जब अलकनंदा नदी का जलस्तर कुछ कम हुआ तो धारी देवी मंदिर के समीप करीब 2 से 3 मीटर तक सिल्ट जमा हुई दिखी। नदी में जमा सिल्ट को अगर जल्द नहीं हटाया गया तो आगे होने वाली बरसात से जीवीके बाँध के आस-पास के गांव पर भी हो खतरा आ सकता है।

हालाँकि आज कुछ देर के लिए जलविद्युत परियोजना में जमा सिल्ट के चलते विद्युत उत्पादन रोकना पड़ा। और बांध में भरी रेत, मलबे (सिल्ट) को निकालने के लिए कुछ देर के लिए सभी गेट खोल दिए गए। जिसकी वजह से देखते ही देखते अलकनन्दा नदी उफान पर आ गई और बांध क्षेत्र में रेत के ढेर दिखने लगे। कुछ देर मलबे और रेत के निकलते ही फिर से बांध में पानी रोककर विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया गया है।