श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर के चौरास परिसर स्थित आडोटोरियम के लोककला एवं संस्कृति निष्पादन केन्द्र में नगरपालिका जूनियर हाईस्कूल और प्राथमिक विद्यालय श्रीनगर के बच्चों द्वारा प्रसिद्ध कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी ‘पंचलाइट’ का शानदार नाट्य मंचन किया गया। नाट्य मंचन का शुभारम्भ संजय पाण्डे द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
पंचलाइट की कहानी लेखक फणीश्वर नाथ रेणु के कहानी संग्रह ‘ठुमरी’ में संकलित है। यह कहानी आंचलिक कहानियों कि श्रेणी में एक प्रमुख कहानी मानी जाती है। यह कहानी 1950 से 1960 के मध्य लिखी गयी थी। थियेटर ग्रुप दिल्ली से निशान्त ठाकुर द्वारा पंचलाइट कहानी को अपने ढंग से प्रस्तुत कर बच्चों को एक सुन्दर मंच देने का प्रयास किया गया। जिनके अथक प्रयासों और मेहनत से बच्चों ने हर किरदार को बखूबी निभाया।
पंचलाइट की कहानी बिहार के ग्रामीण परिवेश के गिर्द घूमती है। गाँव के एक युवक गोधन का मुनरी नामक लड़की से प्रेम है. जिससे नाराज़ होकर पंचायत ने उसका बहिष्कार कर रखा है। एक दिन मेले से गाँव वाले सार्वजनिक उपयोग के लिये पेट्रोमैक्स (जिसे वहाँ के लोग अंगिका) में पंचलाइट खरीद कर लाते हैं। सभी उत्साह में हैं लेकिन तभी पता चलता है कि इसे जलाना तो किसी को आता ही नहीं। गाँव वालों के भोलेपन और पेट्रोमैक्स जलाना न आने के कारण हास्य की स्थिति पैदा होती है। दूसरे गाँव के लोग उपहास करने लगते है। तब मुनरी अपनी सहेली के माध्यम से पंचों से कहलवाती है कि गोधन को आता है पंचलाइट जलाना। पंच लोग दूसरे गाँव से पंचलाइट जलाने के लिये किसी को बुलाने की बेइज्ज़ती से बचने के लिये अंततः गोधन को माफ कर देते हैं और उसका हुक्का-पानी बहाल कर दिया जाता है। और उसे सनीमा का गाना गाने की छूट भी मिल जाती है। स्कूली बच्चों ने इस नाटक की शानदार प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।
नाटक के सफल मंचन के बाद इन्द्रेश मैखुरी द्वारा बच्चों को प्रमाणपत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। सहयोगकर्ता के रूप मे प्रघानाध्यापिका श्रीमती किरन नैथानी, पदमेन्द्र लिंगवाल, इंद्रमोहन नैथानी, ममता भण्डारी, मुकेश काला, मुकेश गौतम, विपिन गौतम आदि अभिभावक भी शामिल हुए।
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